पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Wednesday, April 29, 2009

अधिकारी शहंशाह नहीं कि जो चाहे कर डालें: हाईकोर्ट

पटना बियाडा से 135 कर्मचारियों के हटाये जाने के मामले पर सुनवाई करते हुए पटना उच्च न्यायालय ने अधिकारियों पर तल्ख टिप्पणी की। न्यायाधीश नवीन सिन्हा की अदालत ने मंगलवार को कहा कि बड़े अफसर खासकर आईएएस अधिकारी शाहजहां अकबर और बहादुर शाह जफर तो नहीं हैं कि जैसा चाहा फरमान जारी कर दिया।

बियाडा से बर्खास्त किये गये राम प्रवेश सिंह के मामले पर आज सुनवाई अधूरी रही किन्तु प्रारंभिक सुनवाई में ही अदालत भौंचक रह गयी। कोर्ट ने यह देखने के लिए रिकार्ड मंगवाया था कि आखिर बियाडा कर्मियों को किस प्रक्रिया के तहत हटाया गया। क्या इन्हें हटाने के लिए कानूनी प्रक्रिया अपनायी गयी? कारण बताओ नोटिस और अपना पक्ष रखने का मौका दिया गया? कर्मियों के विरूद्ध विभागीय कार्यवाही चलायी गयी? यदि नहीं तो किस आधार पर इतना बड़ा फैसला लिया गया। रिकार्ड देखने पर कोर्ट को किसी सवाल का जबाव नहीं मिला तो क्षुब्ध होकर अदालत ने आईएएस अधिकारियों के कार्यकलाप की भ‌र्त्सना की। इसके साथ ही पर्याप्त समय नहीं रहने के कारण मामले पर आज पूरी सुनवाई पूरी नहीं हो पायी। अदालत को पीड़ित पक्षों के वकीलों ने बताया कि पिछले वर्ष कुल मिलाकर 134 बियाडाकर्मियों को सिर्फ इस लिए हटा दिया गया क्योंकि ये कर्मचारी कंाट्रेक्ट पर दस्तखत करने के लिए तैयार नहीं थे। इन कर्मचारियों को साफ तौर पर हिदायत दी गयी थी कि नौकरी पर रहना है तो कांट्रेक्ट पर हस्ताक्षर करना ही होगा। बियाडा के एमडी पूर्व से कार्यरत कर्मचारियों को नये सिरे से कांट्रेक्ट के आधार पर नियुक्ति पत्र थमाना चाहते थे। राजी नहीं होने पर राज्य भर के जिलों कार्यरत कर्मचारियों को घर का रास्ता दिखा दिया गया।

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