पाकिस्तानी आतंकी मुहम्मद अजमल अमीर इमान उर्फ अजमल कसाब ने उर्दू में आरोपपत्र उपलब्ध कराने की मांग दोहराई है। अभियोजन पक्ष ने अजमल की इस मांग का पुरजोर विरोध किया। सरकारी वकील का कहना था कि यह मुकदमे की सुनवाई में देर करने का तरीका है। अजमल के वकील अब्बास काजमी ने उसके खिलाफ पेश आरोपों के मसौदे पर जवाब देने के लिए अदालत से चार हफ्ते का समय मांगा। विशेष अदालत ने इन मुद्दों पर अपना फैसला बुधवार तक सुरक्षित रख लिया।
मुंबई आतंकी हमले मामले की मंगलवार को सुनवाई के दौरान अजमल बिल्कुल नए अंदाज में दिखा। आज वह क्लीनशेव था और उसके बाल भी सलीके से कटे हुए थे। 26 नवंबर को गिरफ्तारी के बाद से वह पहली बार बदला-बदला दिखा।
अजमल के वकील काजमी ने उर्दू में आरोपपत्र की मांग करते हुए अदालत से कहा कि उनका मुवक्किल उर्दू के अलावा और कोई भाषा नहीं समझता। उनकी इस दलील का विरोध करते हुए विशेष लोक अभियोजक उज्ज्वल निकम ने कहा कि ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि उस भाषा में आरोपपत्र दिया जाए जो आरोपी को आती हो। महाराष्ट्र में अंग्रेजी के साथ मराठी अदालत की भाषा है। आरोपपत्र की अंग्रेजी और मराठी प्रति आरोपी को पहले ही दी जा चुकी है। इसके पहले रिमांड के लिए जिस मजिस्ट्रेट की अदालत में अजमल को पेश किया गया था वहां भी उसने यही मांग दोहराई थी।
निकम ने अदालत से कहा कि अजमल यदि आतंकी हमले के वक्त नाबालिग था तो उसकी भी जांच करा ली जाए क्योंकि मुकदमे की सुनवाई के बाद कड़ी सजा से बचने के लिए वह इसकी आड़ ले सकता है। इस बीच इसी मामले में सह अभियुक्त सबाउद्दीन अहमद ने एक याचिका दायर कर आरोप लगाया है कि मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच ने हिरासत के दौरान उसे उत्पीड़ित किया।
मुंबई आतंकी हमले मामले की मंगलवार को सुनवाई के दौरान अजमल बिल्कुल नए अंदाज में दिखा। आज वह क्लीनशेव था और उसके बाल भी सलीके से कटे हुए थे। 26 नवंबर को गिरफ्तारी के बाद से वह पहली बार बदला-बदला दिखा।
अजमल के वकील काजमी ने उर्दू में आरोपपत्र की मांग करते हुए अदालत से कहा कि उनका मुवक्किल उर्दू के अलावा और कोई भाषा नहीं समझता। उनकी इस दलील का विरोध करते हुए विशेष लोक अभियोजक उज्ज्वल निकम ने कहा कि ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि उस भाषा में आरोपपत्र दिया जाए जो आरोपी को आती हो। महाराष्ट्र में अंग्रेजी के साथ मराठी अदालत की भाषा है। आरोपपत्र की अंग्रेजी और मराठी प्रति आरोपी को पहले ही दी जा चुकी है। इसके पहले रिमांड के लिए जिस मजिस्ट्रेट की अदालत में अजमल को पेश किया गया था वहां भी उसने यही मांग दोहराई थी।
निकम ने अदालत से कहा कि अजमल यदि आतंकी हमले के वक्त नाबालिग था तो उसकी भी जांच करा ली जाए क्योंकि मुकदमे की सुनवाई के बाद कड़ी सजा से बचने के लिए वह इसकी आड़ ले सकता है। इस बीच इसी मामले में सह अभियुक्त सबाउद्दीन अहमद ने एक याचिका दायर कर आरोप लगाया है कि मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच ने हिरासत के दौरान उसे उत्पीड़ित किया।
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