राजधानी के एक प्राइवेट स्कूल के अध्यापक द्वारा पितृत्व अवकाश के लिए हाई कोर्ट में डाली याचिका की सुनवाई करते हुए अदालत ने पिछले दिनों स्कूल प्रबंधन एवं दिल्ली सरकार को नोटिस भेजा, जिसके चलते यह मसला नए सिरे से सुर्खियों में आया है। इस अध्यापक ने जनवरी में अपने स्कूल से 15 दिन का पितृत्व अवकाश लिया। छुट्टी से काम पर लौटने के बाद पता चला कि उसका 15 दिन का वेतन काट लिया गया है। स्कूल प्रशासन ने पितृत्व अवकाश देने से मना कर दिया था। इस मामले को जाने-माने वकील तथा सामाजिक कार्यकर्ता अशोक अग्रवाल ने कोर्ट के समक्ष जवाब पेश कर याचिका को जनहित याचिका में बदलने की पेशकश की है।
मातृत्व और पितृत्व अवकाश की सुविधा को लेकर लोगों में यह भ्रम हो सकता है कि सरकारी सोच पुरुषों के बजाय महिलाओं के पक्ष में कुछ ज्यादा ही झुकी हुई है। मातृत्व अवकाश, जो पहले तीन महीने था उसे 6 माह करने का प्रस्ताव आया, फिर दो साल की छुट्टी की सुविधा माताओं को मिली जो कि वे अपने बच्चों के 18 साल का होने तक बच्चे की जरूरत के हिसाब से कभी भी ले सकती हैं। लेकिन पितृत्व अवकाश 15 दिन ही रहा और वह भी आसानी से नहीं मिलता।
मातृत्व और पितृत्व अवकाश की सुविधा को लेकर लोगों में यह भ्रम हो सकता है कि सरकारी सोच पुरुषों के बजाय महिलाओं के पक्ष में कुछ ज्यादा ही झुकी हुई है। मातृत्व अवकाश, जो पहले तीन महीने था उसे 6 माह करने का प्रस्ताव आया, फिर दो साल की छुट्टी की सुविधा माताओं को मिली जो कि वे अपने बच्चों के 18 साल का होने तक बच्चे की जरूरत के हिसाब से कभी भी ले सकती हैं। लेकिन पितृत्व अवकाश 15 दिन ही रहा और वह भी आसानी से नहीं मिलता।
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