पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Friday, April 17, 2009

मॉल में बिकता एक्सपायर्ड फूड पकड़ा गया

जयपुर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की दो टीमों ने शहर में बिना बैच व पुराने खाद्य पदार्थ बनाने वाली एक फैक्टरी तथा एक मॉल में एक्सपायर्ड फूड बिक्री होते दो आइटम पकड़े। भास्कर के 15 अप्रैल के अंक में प्रकाशित खबर ‘एक्सपायरी डेट के बाद भी बिक्री’ के बाद विभाग ने फूड इंस्पेक्टरों की बैठक लेकर ये दो टीम गठित की।
सीएमएचओ जयपुर (प्रथम) डॉ.बी.एल.मीणा के निर्देश पर खाद्य निरीक्षक विनोद शर्मा के नेतृत्व विभाग की टीम ने दोपहर करीब 2 बजे से कार्रवाई शुरू की। करतारपुरा और टोंक फाटक क्षेत्र में पहुंची टीम जैसे ही दुकानों पर पहुंची, व्यापारियों में हड़कंप मच गया। 
यहां पर उनके फूड लाइसेंस की जांच की। बाद में दोपहर 3:15 बजे परकोटे स्थित टॉफी, मिठाई की गोलियां आदि फूड पैकेट्स की दुकानों पर पहुंचकर पैकेट्स की जांच की तो उन पर आवश्यक सूचनाएं अंकित नहीं थी। 
दुकान संचालक से मैन्युफैक्चरर का नाम पूछा गया तो उसने मना कर दिया, लेकिन खाद्य निरीक्षकों ने उसे कार्रवाई की बात कही तो वह राजी हुआ। यह सामान ब्रrापुरी के पुरोहित पाड़ा में एक फैक्टरी में तैयार होता है। 
गंदगी के बीच बन रहे थे खाद्य पदार्थ

टीम 3:30 बजे मौके पर अशोक एंटरप्राइजेज पहुंची तो यहां काम कर रहे करीब दो दर्जन कारीगरों में हड़कंप मच गया। फैक्टरी का मालिक अशोक पारवानी मौके पर नहीं था। यहां स्वास्थ्य के घातक खुले और गंदगी में खाद्य पदार्थ बनाए जा रहे थे। इनमें बच्चों की टॉफियां, चूरण की गोलियां, रंग-बिरंगी सौंफ, मीठी खजूर की सुपारी व अन्य कई प्रकार के आइटम बनाकर पैकेट्स तैयार किए जा रहे थे। यहां जिन पदार्र्थो का उपयोग किया जा रहा था उनमें कई प्रकार के रंग और एसेंस तथा चिकनाईयुक्त पदार्थ रखा हुआ था। एक कमरे में एसेंस की बोतलें रखी थीं जिनमें बड़ी संख्या में ऐसी थी जिनकी एक्सपायरी डेट निकल चुकी थी। 

चिकनाईयुक्त पदार्थ को मौके पर मिले मालिक के भाई कैलाश पारवानी ने घी बताया। सूंघने पर उसमें से दु्गध आ रही थी। दो मंजिला इस फैक्टरी में टीम ने खजूर की कटिंग कर कृत्रिम रंग व चासनी से बनाई सुपारी तथा मैदा से तैयार किए इमली लड्डू, काजू कतली और बर्फी के सेंपल सील किए। मैदा से तैयार किए आइटम अधिकतम डेढ़ से दो माह तक रखे जा सकते हैं लेकिन यहां इनके पैकेट्स तैयार कर बाजार में भेजे जा रहे थे जो शहर व गांवों की दुकानों पर कई-कई माह तक बेचे जा रहे थे। कार्रवाई शाम 5:30 बजे तक चली। 

विशाल मेगामार्ट में अवधिपार प्रोडेक्ट

दोपहर 2:30 बजे चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की दूसरी टीम सीएमएचओ जयपुर (द्वितीय) डॉ. यतींद्र सिंह के निर्देश पर जगतपुरा एवं मालवीय नगर क्षेत्र में रवाना हुई। खाद्य निरीक्षक श्रीराम मिश्रा के नेतृत्व में निरीक्षक राजेश टिंकर, संदीप अग्रवाल प्रथम एवं संदीप अग्रवाल द्वितीय की टीम इन दोनों क्षेत्र में 7 दुकानों पर जाकर उनके फूड लाइसेंसों तथा फूड पैकेट्स के कंटेंट्स व उनकी मेन्युफैक्चरिंग डेट, एक्सपायरी डेट सहित सभी कानूनन आवश्यक जानकारी के अंकित होने की जांच की। 

टीम शाम 4:30 बजे मालवीय नगर में क्रिस्टल कोर्ट स्थित विशाल मेगामार्ट पहुंची। जैसे ही टीम यहां पहुंची, मैनेजर, कॉमर्शियल मैनेजर आदि ने टीम को समझाने का प्रयास किया कि यहां सभी चीजें ताजा मिलती हैं। जांच की गई तो यहां सॉस और अचार उपयोग की अवधि पार कर चुके थे। दोनों पर 18 माह तक उपयोगी लिखा हुआ था, लेकिन सॉस पर मेल्युफैक्चरिंग डेट अक्टूबर-07 लिखी थी। 



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