सार्वजनिक तेल कंपनी इंडियन आयल (आईओसी) ने सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत जानकारी मांगने वाले एक व्यक्ति से ज्यादा शुल्क वसूला और बाद में अपने पक्ष को सही ठहराने के लिए 17 521 रुपये खर्च किए। जबकि यह मामला सिर्फ 102 रुपये में सुलझाया जा सकता था।
यह मामला आरटीआई आवेदक राजेश मधोक से जुड़ा है जिन्होंने आईओसी चंडीगढ़ से कुछ सूचना मांगी थी।
तेल कंपनी के जन सूचना अधिकारी ने मधोक से 51 पेज की सूचना के लिए दस रुपये प्रति पेज के हिसाब से शुल्क मांगा। आरटीआई कानून के तहत यह शुल्क दो रुपये प्रति पेज ही है। मधोक ने इसे केंद्रीय सूचना आयोग में चुनौती दी।
आयोग ने मामले की सुनवाई करने के बाद आईओसी से कहा कि वह मधोक को वांछित सूचना निशुल्क उपलब्ध कराए। वैसी आयोग में सुनवाई के लिए आईओसी ने दो वरिष्ठ अधिकारी तैनात किए और उनकी विमान एवं रेल टिकट आदि का खर्च आया 17 521 रुपये। हैदराबाद के आरटीआई कार्यकर्ता सी जे करीरा ने कहा मैंने तेल कंपनी में एक आरटीआई याचिका लगाई जिससे मुझे इन अधिकारियों के खर्च की जानकारी मिली।
यह मामला आरटीआई आवेदक राजेश मधोक से जुड़ा है जिन्होंने आईओसी चंडीगढ़ से कुछ सूचना मांगी थी।
तेल कंपनी के जन सूचना अधिकारी ने मधोक से 51 पेज की सूचना के लिए दस रुपये प्रति पेज के हिसाब से शुल्क मांगा। आरटीआई कानून के तहत यह शुल्क दो रुपये प्रति पेज ही है। मधोक ने इसे केंद्रीय सूचना आयोग में चुनौती दी।
आयोग ने मामले की सुनवाई करने के बाद आईओसी से कहा कि वह मधोक को वांछित सूचना निशुल्क उपलब्ध कराए। वैसी आयोग में सुनवाई के लिए आईओसी ने दो वरिष्ठ अधिकारी तैनात किए और उनकी विमान एवं रेल टिकट आदि का खर्च आया 17 521 रुपये। हैदराबाद के आरटीआई कार्यकर्ता सी जे करीरा ने कहा मैंने तेल कंपनी में एक आरटीआई याचिका लगाई जिससे मुझे इन अधिकारियों के खर्च की जानकारी मिली।
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