निम्बालकर हत्याकाण्ड मामले में एनसीपी के पूर्व सांसद पद्म सिंह पाटिल को 20 जून तक के लिए सीबीआई हिरासत में भेज दिया गया है। इससे पहले भी पाटिल सात दिनों के लिए सीबीआई की हिरासत में थे।
पद्म सिंह पाटिल को आज पनवेल कोर्ट में पेश किया गया। पाटिल के वकील ने कोर्ट को बताया कि पुलिस और सीबीआई के पास पद्म सिंह के खिलाफ कोई सबूत नहीं है। इसलिए उन्हें जमानत पर छोड़ दिया जाना चाहिए। लेकिन सीबीआई ने इसका विरोध किया और केस की तहकीकात के लिए और हिरासत की मांग की।
इससे पहले पाटिल की पेशी के मद्देनजर आज कोर्ट के बाहर भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया। पुलिस को आशंका थी कि पद्म सिंह पाटिल के समर्थक कोर्ट के बाहर हंगामा कर सकते हैं।
कोर्ट के बाहर सुनवाई शुरू होने से पहले ही भारी तादाद में पाटिल के समर्थक पहुंच गए। पाटिल के समर्थन में एनसीपी के सांसद संजीव नायक भी कोर्ट पहुंचे। जबकि समाज सेवक अन्ना हजारे के समर्थक, भ्रस्टाचार विरोधी जन आन्दोलन और सत्यमेव जयते संगठन के कार्यकर्ता भी कोर्ट के बाहर मौजूद थे।
दरअसल, आज से तीन साल और तीन दिन पहले 3 जून 2006 को नवी मुंबई का कलंबोली इलाका अचानक गोलियों की आवाज से गूंज उठा। मोटरसायकिल पर सवार दो हथियारबंद लोग एक स्कोडा कार पर ताबड़तोड़ गोलियां बरसा रहे थे।जब गोलियों की आवाज थमी तो लोगों ने पास जाकर देखा कि कार में कांग्रेस नेता पवनराजे निंबालकर और उनके ड्राइवर की गोलियों से छलनी लाश पड़ी हुई है। उस वक्त ये खबर आग की तरह पूरे राज्य में फैली। महाराष्ट्र पुलिस ने भी तेजी के साथ काम करना शुरू किया। लेकिन धीरे-धीरे उसकी जांच सुस्त पड़ती गई। कुछ दिनों बाद ही पुलिस ने निंबालकर की हत्या को जमीनी विवाद का नतीजा बताकर फाइल को ठंडे बस्ते में डाल दिया। उसी वक्त से आज तक पवनराजे निंबालकर का परिवार बार-बार यही कहता रहा कि मुंबई पुलिस ने इस मामले की जांच में ढिलाई बरती।
पद्म सिंह पाटिल को आज पनवेल कोर्ट में पेश किया गया। पाटिल के वकील ने कोर्ट को बताया कि पुलिस और सीबीआई के पास पद्म सिंह के खिलाफ कोई सबूत नहीं है। इसलिए उन्हें जमानत पर छोड़ दिया जाना चाहिए। लेकिन सीबीआई ने इसका विरोध किया और केस की तहकीकात के लिए और हिरासत की मांग की।
इससे पहले पाटिल की पेशी के मद्देनजर आज कोर्ट के बाहर भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया। पुलिस को आशंका थी कि पद्म सिंह पाटिल के समर्थक कोर्ट के बाहर हंगामा कर सकते हैं।
कोर्ट के बाहर सुनवाई शुरू होने से पहले ही भारी तादाद में पाटिल के समर्थक पहुंच गए। पाटिल के समर्थन में एनसीपी के सांसद संजीव नायक भी कोर्ट पहुंचे। जबकि समाज सेवक अन्ना हजारे के समर्थक, भ्रस्टाचार विरोधी जन आन्दोलन और सत्यमेव जयते संगठन के कार्यकर्ता भी कोर्ट के बाहर मौजूद थे।
दरअसल, आज से तीन साल और तीन दिन पहले 3 जून 2006 को नवी मुंबई का कलंबोली इलाका अचानक गोलियों की आवाज से गूंज उठा। मोटरसायकिल पर सवार दो हथियारबंद लोग एक स्कोडा कार पर ताबड़तोड़ गोलियां बरसा रहे थे।जब गोलियों की आवाज थमी तो लोगों ने पास जाकर देखा कि कार में कांग्रेस नेता पवनराजे निंबालकर और उनके ड्राइवर की गोलियों से छलनी लाश पड़ी हुई है। उस वक्त ये खबर आग की तरह पूरे राज्य में फैली। महाराष्ट्र पुलिस ने भी तेजी के साथ काम करना शुरू किया। लेकिन धीरे-धीरे उसकी जांच सुस्त पड़ती गई। कुछ दिनों बाद ही पुलिस ने निंबालकर की हत्या को जमीनी विवाद का नतीजा बताकर फाइल को ठंडे बस्ते में डाल दिया। उसी वक्त से आज तक पवनराजे निंबालकर का परिवार बार-बार यही कहता रहा कि मुंबई पुलिस ने इस मामले की जांच में ढिलाई बरती।
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