पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Tuesday, June 30, 2009

विधि महाविद्यालयों को मान्यता पर जांच समिति गठित।



उच्चतम न्यायालय ने उचित जांच के बिना ही विधि महाविद्यालयों को मान्यता दिए जाने पर नाराजगी जताते हुए एक समिति गठित की है जो बुनियादी ढांचा के बगैर बढ़ते ऐसे कालेजों की जांच करेगी। न्यायालय ने मौजूदा नियमों का उल्लंघन कर ऐसे कालेजों की स्थापना पर चिंता व्यक्त की और सालिसिटर जनरल गोपाल सुब्रमण्यम और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन अध्यक्ष एम एन कृष्णमणि को चार हफ्तों में इस पर एक रिपोर्ट देने को कहा।
न्यायमूर्ति दलवीर भंडारी और न्यायमूर्ति ए के गांगुली की पीठ ने कहा स्थिति की गंभीरता को देखते हुए हम सालिसिटर जनरल और एससीबीए अध्यक्ष से इस संबंध में एक रिपोर्ट देने का अनुरोध करते हैं। 
पीठ ने कहा कि मान्यता मंजूर करने के पहले उचित जांच की जानी चाहिए। इनमें फैकल्टी बुनियादी ढांचा पुस्तकालय की सुविधा आदि शामिल हैं। यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि पर्याप्त फैकल्टी सदस्य नियुक्त किए जाएं और उन्हें छठे वेतन आयोग के अनुरूप न्यूनतम वेतनमान दिए जाएं। पीठ ने कहा कानूनी पेशे का पूरा कामकाज विधि महाविद्यालयों पर निर्भर करता है।

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