पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Friday, June 12, 2009

रिश्वतखोर इंस्पेक्टर को जेल भेजा

जयपुर-लुहारू मार्ग पर वाहनों से अवैध वसूली के आरोप में गिरफ्तार परिवहन विभाग के इंस्पेक्टर राकेश विजयवर्गीय व गार्ड राजेंद्र को जेल भेज दिया गया है। 
भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने बीती रात राकेश के दस्ते को साढ़े तीन हजार रुपए वसूली करते रंगे हाथों पकड़ा था। गिरफ्तारी के बाद गुरुवार को दोनों आरोपियों को न्यायाधीश न्यायालय भ्रष्टाचार निवारण के समक्ष पेश किया। वहां न्यायाधीश ने जमानत आवेदन खारिज करते हुए दोनों को जेल भेजने के आदेश दिए। 
जयपुर से आई एसीबी टीम के डीएसपी जेके व्यास के मुताबिक ट्रांसपोर्टर राजकुमार व कृष्णकुमार ने इंस्पेक्टर राकेश के खिलाफ मासिक बंधी मांगने की शिकायत की। इसका सत्यापन कराने के बाद मामला साढ़े तीन हजार रुपए में तय हुआ। 
बुधवार रात अग्रसेन सर्किल पर रुपए लेते समय टीम ने इंस्पेक्टर राकेश व गार्ड राजेंद्र को रंगे हाथों दबोच लिया। दस्ते के पास दो लाख रुपए नकदी बरामद हुई, जिसका कोई हिसाब-किताब नहीं मिला। ब्यूरो टीम इसकी जांच कर रही है। कार्रवाई के समय इंस्पेक्टर ने एसीबी टीम के साथ हाथापाई भी की बताई, जिसकी सूचना पर कंट्रोल रूप ने पुलिस की मोबाइल टीम को भेजा। 
आरोपी इंस्पेक्टर राकेश लुहारू मार्ग पर ही अधिकांश समय गुजरता। सुबह 10 बजे के करीब आफिस आने के बाद वह बीहड़ चैक पोस्ट के निकट बड़ के नीचे गाड़ी लगा लेता। रात को फिर इसी रोड पर अग्रसेन सर्किल के आगे खड़ा हो जाता। 
जिला परिवहन कार्यालय में तैनात इंस्पेक्टर राकेश को अधिकृत रूप से अलसीसर, मलसीसर, बिसाऊ, मंडावा व झुंझुनूं का एरिया दिया हुआ था। लुहारू रोड पर वाहनों का आना-जाना अधिक है। ऐसे में अपने एरिया की बजाए इंस्पेक्टर अधिकांश समय पर यहीं पर खड़ा रहता। 
गार्ड करते थे लेन-देन का काम
रिश्वतखोर इंस्पेक्टर राकेश विजयवर्गीय ने वाहन चालकों से रकम वसूलने के लिए भाड़े के गार्ड रखता था। खाखी ड्रेस पहनकर गार्ड सड़कों पर आने-जाने वाले वाहनों को रोकते और चालक को साहब के पास भेज देते। वहां से फटकार लगने के बाद गार्ड ले-देकर मामला निबटा देते।

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