पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट
संपत्ति का खुलासा नहीं कर सकता: बालाकृष्णन
6 Comments - 19 Apr 2011
पूर्व प्रधान न्यायाधीश केजी बालाकृष्णन ने संपत्ति से संबंधित सूचनाओं के गलत उपयोग बताते हुए आयकर अधिकारियों से कहा कि वह अपनी संपत्ति का खुलासा नहीं कर सकते। सूचना का अधिकार (आरटीआई) कार्यकर्ता पी बालाचंद्रन की ओर से आयरकर विभाग से बालाकृष्णन की संपत्ति की सूचना मांगने पर आयकर अधिकारियों ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि पूर्व मुख्य न्यायाधीश ने हलफाना दाखिल किया है कि वह अपनी सम्पत्ति को ...

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संवैधानिक अधिकार है संपत्ति का अधिकार
4 Comments - 19 Apr 2011
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि संपत्ति का अधिकार संवैधानिक अधिकार है और सरकार मनमाने तरीके से किसी व्यक्ति को उसकी भूमि से वंचित नहीं कर सकती। न्यायमूर्ति जी एस सिंघवी और न्यायमूर्ति ए के गांगुली की पीठ ने अपने एक फैसले में कहा कि जरूरत के नाम पर निजी संस्थानों के लिए भूमि अधिग्रहण करने में सरकार के काम को अदालतों को 'संदेह' की नजर से देखना चाहिए। पीठ की ओर से फैसला लिखते हुए न्यायमूर्ति ...

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Wednesday, June 10, 2009

सर्वोच्च न्यायालय ने विवाहित महिला के प्रेमियों को सावधान किया

सर्वोच्च न्यायालय ने एक मामले में एक विवाहित महिला के प्रेमी के खिलाफ फैसला सुनाते हुए ऐसे प्रेमियों को सावधान किया है। अदालत ने प्रेमी को विवाहित महिला के पति को आत्महत्या के लिए मजबूर करने का दोषी ठहराया है। 
न्यायमूर्ति मुकुंदम शर्मा और न्यायमूर्ति बी.एस.चौहान की अवकाशकालीन खंडपीठ ने आंध्रप्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा गुंटूर निवासी दामू श्रीनू को सुनाई गई तीन साल के कारावास की सजा को बरकरार रखने का आदेश दिया है।
28 मई को सुनाए गए और मंगलावार को जारी किए गए फैसले के अनुसार श्रीनू का अपने पड़ोसी बित्रा नागार्जुन राव की पत्नी के साथ प्रेम संबंध था। इसके कारण राव ने 8 जून 1996 को आत्महत्या कर ली थी। 
राव को अपनी पत्नी पर श्रीनू के साथ संबंध होने का शक हुआ तो उसने अपनी पत्नी से इस बारे में सवाल किया। इसे लेकर दोनों के बीच लड़ाई हुई। 
राव ने अपने ससुर को बुलाकर पत्नी को ले जाने के लिए कहा ताकि उसका मन बदल जाए। लेकिन श्रीनू 1 जनवरी 1996 को राव के घर आया और उसने राव की पत्नी के साथ अपने संबंधों की बात स्वीकार कर ली। उसने यह भी कहा कि जब तक वह महिला उसे नहीं छोड़ देती तब तक वह उसके साथ संबंध बनाए रखेगा। 
राव की आत्महत्या के बाद मामला पुलिस के पास पहुंचा तो उसने महिला और उसके प्रेमी को गिरफ्तार कर लिया। एक दंडाधिकारी की अदालत ने दोनों को पांच-पांच साल के कारावास की सजा सुनाई। बाद में सत्र अदालत ने दोनों की सजा को घटा कर तीन-तीन साल कर दिया। 
उसके बाद आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय ने महिला की सजा को घटा कर एक साल कर दी लेकिन श्रीनू के तीन साल के कारावास की सजा को बरकरार रखा। 
अब सर्वोच्च न्यायालय ने भी उच्च न्यायालय के फैसले पर मुहर लगा दी है।

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