गवाहों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कोई प्रणाली स्थापित किए जाने का सुप्रीम कोर्ट द्वारा समर्थन किए जाने की पृष्ठभूमि में विधि मंत्री एम वीरप्पा मोइली ने मंगलवार को कहा कि इसे आपराधिक न्याय प्रणाली का हिस्सा बनाया जाना चाहिए।
मोइली ने कहा कि लोक व्यवस्था पर रिपार्ट में मैंने गवाह की सुरक्षा को जरूरी बताया है और हमें आपराधिक न्याय प्रणाली सुधार में इसे अनिवार्य बना देना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस संबंध में कानून मंत्रालय गृह मंत्रालय द्वारा तैयार किए गए किसी भी प्रस्ताव पर समीक्षा करने के लिए तत्पर रहेगा।
गौरतलब है कि 2007 में जमा की गई व्यवस्था रिपोर्ट में गवाह की पहचान को गुप्त रखने पर सांविधिक कार्यक्रम चलाने और विशेष मामलों में गवाह की सुरक्षा को सुनिश्चित करने की बात कही गई थी। इसमें संक्षिप्त सुनवाई में दिए बयान को बदल कर बाद में झूठी गवाही देने के दोषियों के खिलाफ भी कार्रवाई करने की बात कही गई थी।
अभी हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि प्रभावशाली लोगों के मामलों में जो सामान्य अनुभव मिला है वह यह है कि गवाह डर और दबाव के कारण आगे नहीं आना चाहता। हमारे देश में आपराधिक न्याय प्रशासन को यथार्थवादी बनाने के लिए यह गवाह की सुरक्षा सुनिश्चित करने की जरूरत को चित्रित करता है।
मोइली ने कहा कि लोक व्यवस्था पर रिपार्ट में मैंने गवाह की सुरक्षा को जरूरी बताया है और हमें आपराधिक न्याय प्रणाली सुधार में इसे अनिवार्य बना देना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस संबंध में कानून मंत्रालय गृह मंत्रालय द्वारा तैयार किए गए किसी भी प्रस्ताव पर समीक्षा करने के लिए तत्पर रहेगा।
गौरतलब है कि 2007 में जमा की गई व्यवस्था रिपोर्ट में गवाह की पहचान को गुप्त रखने पर सांविधिक कार्यक्रम चलाने और विशेष मामलों में गवाह की सुरक्षा को सुनिश्चित करने की बात कही गई थी। इसमें संक्षिप्त सुनवाई में दिए बयान को बदल कर बाद में झूठी गवाही देने के दोषियों के खिलाफ भी कार्रवाई करने की बात कही गई थी।
अभी हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि प्रभावशाली लोगों के मामलों में जो सामान्य अनुभव मिला है वह यह है कि गवाह डर और दबाव के कारण आगे नहीं आना चाहता। हमारे देश में आपराधिक न्याय प्रशासन को यथार्थवादी बनाने के लिए यह गवाह की सुरक्षा सुनिश्चित करने की जरूरत को चित्रित करता है।
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