पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Thursday, June 25, 2009

कसाब के वकील की जज के खिलाफ टिप्पणी से जज नाराज।

मुंबई आतंकी हमले की सुनवाई कर रहे विशेष अदालत के जज एम एल तहलियानी बुधवार को बचाव पक्ष के वकील पर भड़क उठे। पाकिस्तानी हमलावर अजमल अमीर इमान उर्फ अजमल कसाब की पैरवी कर रहे अब्बास काजमी ने आरोप लगाया था कि जज तहलियानी अभियोजन पक्ष [प्रासीक्यूशन] की मदद कर रहे हैं। 

इस टिप्पणी से नाराज जज ने कहा कि पक्षपाती होने के बजाय वह सुनवाई से हटना पसंद करेंगे। उन्होंने काजमी से कहा, 'आप काफी गंभीर आरोप लगा रहे हैं। मैं आहत महसूस कर रहा हूं। मैं इस केस में काफी मेहनत कर रहा हूं और देर रात तक बैठता हूं। मैं ऐसे आरोपों को बर्दाश्त नहीं करूंगा।' 

उन्होंने अभियोजन पक्ष के वकील उज्ज्वल निकम से कहा कि अदालत को सौंपी गई फोरेंसिक रिपोर्ट दो हिस्सों में बांट दी जाए। एक रिपोर्ट उनकी हो जिनके शरीर में अजमल द्वारा चलाई गई गोली पाई गई। दूसरे में उन लोगों की रिपोर्ट हो जिनके शरीर में गोली नहीं पाई गई। इसके बाद काजमी ने यह टिप्पणी की। हालांकि बाद में काजमी ने माफी मांग ली और कहा कि उनसे समझने में गलती हुई।

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