मुंबई में 26 नवंबर को हुए आतंकवादी हमले के मामले में बुधवार को विशेष अदालत में एक महिला गवाह ने कहा कि आतंकवादी अजमल आमिर कसाब बेंगलुरु में कभी रहा ही नहीं। कसाब को गिरगाँव चौपाटी के समीप से जब उस रात पुलिस ने गिरफ्तार किया तो उसके पास से जो पहचान-पत्र मिला, उसमें बेंगलुरु का पता लिखा हुआ था। विशेष न्यायालय के न्यायाधीश एमएल ताहलियानी के समक्ष बेंगलुरु टीचर कॉलोनी की गवाह उषाश्री शिव कुमार ने कहा कि आतंकवादी से जब्त पहचान-पत्र में बेंगलुरु का जो पता लिखा है, उस स्थान पर कसाब कभी रहा ही नहीं।
विशेष सरकारी वकील उज्ज्वल निकम के एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि उनकी एक कपड़े की कंपनी बेंगलुरु में है और उसका परिवार पहचान-पत्र में अंकित पते पर 1999 से रह रहा है। उन्होंने कहा कि कसाब के पहचान पत्र में दिए गए पते वाला मकान उसके कब्जे में है, लेकिन वह कई वर्षों से खाली है। ऊषाश्री अपने दावे के रूप में अपने साथ उस स्थान का महानगर पालिका द्वारा जारी मालिकाना प्रमाण-पत्र भी साथ में लाई थीं। निकम ने कसाब की ओर इशारा करते हुए गवाह से पूछा कि क्या यह व्यक्ति कभी पहचान-पत्र में बताए गए पते पर ठहरा था, उन्होंने कहा कि नहीं, वह कभी भी वहाँ ठहरा नहीं था और उसका पहचान-पत्र फर्जी है।
विशेष सरकारी वकील उज्ज्वल निकम के एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि उनकी एक कपड़े की कंपनी बेंगलुरु में है और उसका परिवार पहचान-पत्र में अंकित पते पर 1999 से रह रहा है। उन्होंने कहा कि कसाब के पहचान पत्र में दिए गए पते वाला मकान उसके कब्जे में है, लेकिन वह कई वर्षों से खाली है। ऊषाश्री अपने दावे के रूप में अपने साथ उस स्थान का महानगर पालिका द्वारा जारी मालिकाना प्रमाण-पत्र भी साथ में लाई थीं। निकम ने कसाब की ओर इशारा करते हुए गवाह से पूछा कि क्या यह व्यक्ति कभी पहचान-पत्र में बताए गए पते पर ठहरा था, उन्होंने कहा कि नहीं, वह कभी भी वहाँ ठहरा नहीं था और उसका पहचान-पत्र फर्जी है।
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