उच्चतम न्यायालय में आज एक जनहित याचिका दाखिल की गयी है जिसमें अपील की गयी है कि आस्ट्रेलिया तथा कनाडा में नस्ली हमलों से प्रभावित भारतीय छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित कराने के लिये केंद्र को निर्देश जारी किये जायें।
जनहित याचिका में दलील दी गयी है कि ऐसे हमलों की पुनरावृत्ति रोकने के लिये दोनों देशों के साथ बातचीत शुरू करने के केंद्र को निर्देश दिये जायें। केंद्र विदेशों में अध्ययनरत भारतीय छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित कराने के लिये कड़े कानून और नियमन भी बनवाये।
वकील डी. के. गर्ग की ओर से दाखिल याचिका में केंद्र सरकार पर आस्ट्रेलिया के महज कुछ अधिकारियों से बिना कोई ठोस नतीजा निकाले बिना चर्चा कर घटनाओं की उपेक्षा करने का आरोप लगाया गया है क्योंकि हमलों का सिलसिला जारी है।
याचिका कहती है कि यहां तक कि प्रवासी भारतीयों के मामलों के मंत्री वायलार रवि भी स्वीकार कर चुके हैं कि ये हमले पुलिस की निष्क्रियता दर्शाते हैं पर इसके बाद भी भारत सरकार ने आस्ट्रेलिया की मदद से इन घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिये अब तक कोई कदम नहीं उठाया है।
उधर इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने आस्ट्रेलिया में रह रहे भारतीय लोगों और छात्रों पर हमले के विरोध में दायर जनहित याचिका पर सहायक सालिसिटर जनरल आफ इंडिया को केन्द्र सरकार से निर्देश प्राप्त करने का आदेश देते हुए जुलाई माह में सुनवाई तय की है।
न्यायमूर्ति एस.एन.शुक्ल एवं न्यायमूर्ति एस.एन.एच.जैदी की खण्डपीठ ने वी द पीपुल संस्था की ओर से दायर जनहित याचिका पर यह आदेश पारित किया।
याचिका के मुताबिक आस्ट्रेलिया में नस्ली भेदभाव के चलते भारतीय लोगों और छात्रों पर हो रहे हमले न केवल दुखद हैं बल्कि संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन भी हैं।
याचिका में आस्ट्रेलिया में भारतीयों को जानमाल की सुरक्षा मुहैया कराने का अनुरोध किया गया है। याचिका में केन्द्र सरकार भारतीय विदेश मंत्रालय आदि को पक्षकार बनाया गया है।
जनहित याचिका में दलील दी गयी है कि ऐसे हमलों की पुनरावृत्ति रोकने के लिये दोनों देशों के साथ बातचीत शुरू करने के केंद्र को निर्देश दिये जायें। केंद्र विदेशों में अध्ययनरत भारतीय छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित कराने के लिये कड़े कानून और नियमन भी बनवाये।
वकील डी. के. गर्ग की ओर से दाखिल याचिका में केंद्र सरकार पर आस्ट्रेलिया के महज कुछ अधिकारियों से बिना कोई ठोस नतीजा निकाले बिना चर्चा कर घटनाओं की उपेक्षा करने का आरोप लगाया गया है क्योंकि हमलों का सिलसिला जारी है।
याचिका कहती है कि यहां तक कि प्रवासी भारतीयों के मामलों के मंत्री वायलार रवि भी स्वीकार कर चुके हैं कि ये हमले पुलिस की निष्क्रियता दर्शाते हैं पर इसके बाद भी भारत सरकार ने आस्ट्रेलिया की मदद से इन घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिये अब तक कोई कदम नहीं उठाया है।
उधर इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने आस्ट्रेलिया में रह रहे भारतीय लोगों और छात्रों पर हमले के विरोध में दायर जनहित याचिका पर सहायक सालिसिटर जनरल आफ इंडिया को केन्द्र सरकार से निर्देश प्राप्त करने का आदेश देते हुए जुलाई माह में सुनवाई तय की है।
न्यायमूर्ति एस.एन.शुक्ल एवं न्यायमूर्ति एस.एन.एच.जैदी की खण्डपीठ ने वी द पीपुल संस्था की ओर से दायर जनहित याचिका पर यह आदेश पारित किया।
याचिका के मुताबिक आस्ट्रेलिया में नस्ली भेदभाव के चलते भारतीय लोगों और छात्रों पर हो रहे हमले न केवल दुखद हैं बल्कि संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन भी हैं।
याचिका में आस्ट्रेलिया में भारतीयों को जानमाल की सुरक्षा मुहैया कराने का अनुरोध किया गया है। याचिका में केन्द्र सरकार भारतीय विदेश मंत्रालय आदि को पक्षकार बनाया गया है।
0 टिप्पणियाँ:
Post a Comment