उदयपुर. शहर में चर्चा का विषय रही नगर विकास प्रन्यास की पन्नाधाय नगर आवासीय योजना में 800 भूखंडों के आबंटन पर अदालत ने मंगलवार को अस्थायी निषेधाज्ञा के आदेश जारी किए। सिविल न्यायाधीश कनिष्ठ खंड शहर दक्षिण (ग्रीष्मकालीन विशेष न्यायालय) ने प्रन्यास प्रशासन को निर्देश दिए हैं कि 15 जुलाई को अगली सुनवाई तक यथास्थिति बनाए रखें। पत्रकार कोटे के आवेदक का प्लॉट निरस्त न करें। अदालत ने 800 भूखण्डों की आवासीय योजना पर यथास्थिति के आदेश दिए।
विवाद का कारण
यूआईटी की बलीचा में प्रस्तावित दक्षिण विस्तार योजना में पत्रकार वर्ग से भारत भूषण ओझा ने आवेदन किया था। प्रन्यास ने 12-13 जनवरी 2009 को निकाली गई लॉटरी में पत्रकार कोटे में 17 आवेदकों को चुना। उक्त स्कीम में 1000 वर्गफीट प्लॉट योजना में 11 पत्रकार, 1800 वर्गफीट प्लॉट में 4 पत्रकार तथा 2400 वर्गफीट प्लॉट में 2 पत्रकारों का चयन किया गया।
परिवादी को प्लॉट नंबर आबंटित कर दिए गए। उसी दौरान कुछ लोगों ने प्रन्यास सचिव को आपत्ति दर्ज कराई की पत्रकार कोटे के प्लॉट अधिस्वीकृत पत्रकारों को ही दिए जाने चाहिए। प्रन्यास सचिव ने स्थानीय निकाय निदेशालय पत्र लिखकर इस संदर्भ में स्पष्टीकरण मांगा था। निदेशालय ने सूचना एवं जनसंपर्क निदेशालय से अधिस्वीकृत पत्रकारों को ही प्लॉट आबंटन का पात्र माना। निदेशालय से मिले निर्देश की पालना में प्रन्यास कार्यालय ने 22 जून को पत्रकार कोटे में सभी भूखण्ड आबंटियों को नोटिस देकर अधिस्वीकरण प्रमाणपत्र पेश करने के आदेश दिए।
उक्त नोटिस को लेकर कथित पत्रकार ओझा ने नगर विकास प्रन्यास प्रशासन के खिलाफ 5 जून को अदालत में स्थायी निषेधाज्ञा का प्रार्थनापत्र पेश किया। प्रार्थनापत्र में बताया गया कि प्रन्यास ने भूखंड आबंटन के लिए जो फार्म बेचे थे उनमें अधिस्वीकृत पत्रकार की शर्त नहीं थी। परिवादी ने अतिरिक्त निदेशक सूचना एवं जनसंपर्क निदेशालय के 21 जून 2007 को जारी पत्र भी अदालत में पेश किया जिसमें पत्रकारों को आवास आबंटन के लिए अधिस्वीकृत होना जरूरी नहीं माना गया है।
विवाद का कारण
यूआईटी की बलीचा में प्रस्तावित दक्षिण विस्तार योजना में पत्रकार वर्ग से भारत भूषण ओझा ने आवेदन किया था। प्रन्यास ने 12-13 जनवरी 2009 को निकाली गई लॉटरी में पत्रकार कोटे में 17 आवेदकों को चुना। उक्त स्कीम में 1000 वर्गफीट प्लॉट योजना में 11 पत्रकार, 1800 वर्गफीट प्लॉट में 4 पत्रकार तथा 2400 वर्गफीट प्लॉट में 2 पत्रकारों का चयन किया गया।
परिवादी को प्लॉट नंबर आबंटित कर दिए गए। उसी दौरान कुछ लोगों ने प्रन्यास सचिव को आपत्ति दर्ज कराई की पत्रकार कोटे के प्लॉट अधिस्वीकृत पत्रकारों को ही दिए जाने चाहिए। प्रन्यास सचिव ने स्थानीय निकाय निदेशालय पत्र लिखकर इस संदर्भ में स्पष्टीकरण मांगा था। निदेशालय ने सूचना एवं जनसंपर्क निदेशालय से अधिस्वीकृत पत्रकारों को ही प्लॉट आबंटन का पात्र माना। निदेशालय से मिले निर्देश की पालना में प्रन्यास कार्यालय ने 22 जून को पत्रकार कोटे में सभी भूखण्ड आबंटियों को नोटिस देकर अधिस्वीकरण प्रमाणपत्र पेश करने के आदेश दिए।
उक्त नोटिस को लेकर कथित पत्रकार ओझा ने नगर विकास प्रन्यास प्रशासन के खिलाफ 5 जून को अदालत में स्थायी निषेधाज्ञा का प्रार्थनापत्र पेश किया। प्रार्थनापत्र में बताया गया कि प्रन्यास ने भूखंड आबंटन के लिए जो फार्म बेचे थे उनमें अधिस्वीकृत पत्रकार की शर्त नहीं थी। परिवादी ने अतिरिक्त निदेशक सूचना एवं जनसंपर्क निदेशालय के 21 जून 2007 को जारी पत्र भी अदालत में पेश किया जिसमें पत्रकारों को आवास आबंटन के लिए अधिस्वीकृत होना जरूरी नहीं माना गया है।
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