भारत के मुख्य न्यायाधीश केजी बालकृष्णन ने भारत के संविधान की सफलता का श्रेय संविधान निर्माता बीआर अंबेडकर को देते हुए कहा है कि भारत का संविधान समय की कसौटियों पर खरा उतरा है जबकि पड़ोसी देशों के संविधान समय के साथ शिथिल पड़ गए।
न्यायिक सक्रियता और सामाजिक आर्थिक अधिकारों के पालन पर पहले अंबेडकर स्मृति व्याख्यान में बालकृष्णन ने कहा भारत का संविधान समय की कसौटियों पर खरा उतरा और उसने स्वयं को साबित किया है। यही कारण है कि हमारे लोकतंत्र का अस्तित्व कायम है जबकि हमारे पड़ोसी देशों में संविधान या तो शिथिल पड़ चुके हैं या समस्याओं से घिरे हैं।
बालकृष्णन ने नेहरू सेंटर में कल रात कहा देश में न्यायपालिका के कारण कुछ हद तक सामाजिक संरूपण हुआ है और इसका श्रेय सिर्फ संविधान निर्माता डा अंबेडकर को जाता है।
उन्होंने कहा कि देश में कई सामाजिक परिवर्तन लाने में न्यायपालिका की अहम भूमिका है। ब्रिटेन में भारत के राजदूत शिवशंकर मुखर्जी ने कहा कि भारत के संविधान को कई अन्य देशों में बहुत सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है जिनमें अफ्रीका के देश मुख्य रूप से शामिल हैं। उन्होंने कहा हम इतनी दूर तक चले हैं जो सर्फ हमारे संविधान के संस्थापक की बदौलत ही हुआ है। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि मूलभूत अधिकारों के नियमन के संबंध में नागरिक सीधे उच्चतम न्यायालय तक पहुंच सकते हैं।
न्यायिक सक्रियता और सामाजिक आर्थिक अधिकारों के पालन पर पहले अंबेडकर स्मृति व्याख्यान में बालकृष्णन ने कहा भारत का संविधान समय की कसौटियों पर खरा उतरा और उसने स्वयं को साबित किया है। यही कारण है कि हमारे लोकतंत्र का अस्तित्व कायम है जबकि हमारे पड़ोसी देशों में संविधान या तो शिथिल पड़ चुके हैं या समस्याओं से घिरे हैं।
बालकृष्णन ने नेहरू सेंटर में कल रात कहा देश में न्यायपालिका के कारण कुछ हद तक सामाजिक संरूपण हुआ है और इसका श्रेय सिर्फ संविधान निर्माता डा अंबेडकर को जाता है।
उन्होंने कहा कि देश में कई सामाजिक परिवर्तन लाने में न्यायपालिका की अहम भूमिका है। ब्रिटेन में भारत के राजदूत शिवशंकर मुखर्जी ने कहा कि भारत के संविधान को कई अन्य देशों में बहुत सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है जिनमें अफ्रीका के देश मुख्य रूप से शामिल हैं। उन्होंने कहा हम इतनी दूर तक चले हैं जो सर्फ हमारे संविधान के संस्थापक की बदौलत ही हुआ है। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि मूलभूत अधिकारों के नियमन के संबंध में नागरिक सीधे उच्चतम न्यायालय तक पहुंच सकते हैं।
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