मुंबई हमले में सीएसटी रेलवे स्टेशन पर गोली लगने से घायल हुई एक दस साल की बच्ची ने अजमल कसाब को गोली चलाने वाले आतंकी के रूप में पहचाना है। वहीं उसके पिता अपनी बेटी को घायल करने वाले हमलावरों में से एक को सामने देख कर आपा खो बैठे और उन्होंने कसाब को फांसी पर चढ़ाने को कहा। मुंबई हमलों की सुनवाई कर रहे विशेष जज एमएल टाहिलियानी की कोर्ट में मामले की सबसे नन्ही चश्मदीद गवाह देविका रोतावन बुधवार को पेश हुई। पांव में गोली लगने से घायल हुई देविका बैसाखी के सहारे आई और पूरे धैर्य व विश्वास के साथ उसने सवालों के जवाब दिए। कोर्ट ने उससे कठघरे में खड़े तीन आरोपियों में से हमले के दौरान गोली चलाने वाले को पहचानने को कहा। इस पर उसने कसाब की ओर इशारा किया। हमलावरों में कसाब ही अब एकमात्र जीवित है।
फूट पड़ा नटवरलाल: देविका के पिता नटवरलाल से जब कसाब को पहचानने को कहा गया तो वह आपा खो बैठे। उन्होंने कहा, ‘यही है हमलावर जो वहां बैठा है। उसने मेरी बेटी को गोली मार कर घायल कर दिया। उसे फांसी पर चढ़ा देना चाहिए।’ जज ने उन्हें शांत करने की कोशिश की। नटवरलाल ने कहा कि जिसे चोट लगती है उसी को दर्द का एहसास होता है। उसने कहा, ‘मेरी बेटी की जिंदगी का सवाल था।’
फूट पड़ा नटवरलाल: देविका के पिता नटवरलाल से जब कसाब को पहचानने को कहा गया तो वह आपा खो बैठे। उन्होंने कहा, ‘यही है हमलावर जो वहां बैठा है। उसने मेरी बेटी को गोली मार कर घायल कर दिया। उसे फांसी पर चढ़ा देना चाहिए।’ जज ने उन्हें शांत करने की कोशिश की। नटवरलाल ने कहा कि जिसे चोट लगती है उसी को दर्द का एहसास होता है। उसने कहा, ‘मेरी बेटी की जिंदगी का सवाल था।’
2 टिप्पणियाँ:
bilkul sahi kaha natvarlaal ne abhar
yaar ab to phansi bhi kam hain ise kuchh aur hi lagaao
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