पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Sunday, July 5, 2009

देश के उच्च न्यायालयों में 232 न्यायाधीशों की जरुरत।


वर्तमान में देश की अदालतों में 40 लाख प्रकरण बकाया हैं। साथ ही उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों के 232पद खाली पड़े है।  जून, 2009 तक के अनुमान के मुताबिक देश के 21 उच्च न्यायालयों में कुल 886 न्यायाधीशों के पद स्वीकृत पर वास्तविक रूप में इनमें 654 न्यायाधीश ही कार्यरत हैं।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय में, जिसमें देश में सबसे ज्यादा स्वीकृत पद 160 हैं, 72 पद खाली हैं। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि विभिन्न उच्च न्यायालयों में 42 न्यायाधीशों की नियुक्ति का प्रस्ताव सरकार के पास विचाराधीन है।
विभिन्न उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीश बार और न्यायिक सेवाओं के शेष 190 पदों को भरने का प्रस्ताव देने वाले हैं। दिसंबर, 2008 के अनुमान के अनुसार विभिन्न उच्च न्यायालयों में लगभग 39,14,669 प्रकरण बकाया हैं।
विधि आयोग ने कई साल पूर्व अपनी 120वीं रिपोर्ट में कहा था कि प्रति एक लाख लोगों पर न्यायाधीशों की दर 10.5 से बढ़ा कर 50 कर देनी चाहिए। वर्तमान में देश में न्यायाधीशों की संख्या प्रति एक लाख जनसंख्या पर 14 है। इस संख्या की हर तीन साल बाद समीक्षा की जाती है और हालिया समीक्षा 2006 में हुई थी।
आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों के 49 पद स्वीकृत हैं, जहां 30 न्यायाधीश कार्यरत हैं, वहीं बंबई उच्च न्यायालय में 66 न्यायाधीश कार्यरत हैं, जो स्वीकृत पदों से नौ कम हैं। कलकत्ता उच्च न्यायालय में 17 न्यायाधीशों की कमी है। सिक्किम उच्च न्यायालय संभवत: देश का एकमात्र न्यायालय है, जहां न्यायाधीशों की कमी नहीं है।

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