पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Saturday, July 4, 2009

रैगिंग की तो देने पड़ेंगे ढाई लाख रुपए


रैगिंग करने पर ढाई लाख रुपए तक जुर्माना हो सकता है। यही नहीं रैगिंग को रोकने में अक्षम पाए जाने वाले शिक्षण संस्थान की मान्यता रद्द करने के साथ ही उसके विशेषधिकार भी वापस लिए जा सकते हैं। इस बात का खुलासा रोहतक एमडीयू के विधि विभाग के एसोसिएट प्रोफसर व राघवन कमेटी (सुप्रीम कोर्ट की रैगिंग परामर्श कमेटी) के लिंक सदस्य डा. सुंदर सिंह शीलवंत द्वारा एंटी रैगिंग प्रथा लिखी गई।

पुस्तक रैगिंग से मुक्ति में हुआ है। जन जागरण अभियान के तहत लिखी गई इस पुस्तक में रैगिंग प्रथा पर सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पारित निर्देशों एवं यूजीसी द्वारा पारित नियमों का हवाला देते हुए रैगिंग के सभी पहलुओं पर प्रकाश डाला गया है। पुस्तक में 14 अध्याय हैं। जिनमें रैगिंग के इतिहास से लेकर वर्तमान में रैगिंग की परिभाषा, संस्थान के अनिवार्य दायित्व, संस्थान स्तर पर एंटी रैगिंग कमेटी व स्कवायड, प्रेशर्स की काउंसलिंग, सीनियर्स की ओरियंटेशन, विश्वविद्यालय द्वारा दोषी संस्थान के विरुद्ध कार्रवाई, रैगिंग संबंधी अन्य महत्वपूर्ण जानकारियां दी गई हैं।


डा. शीलवंत द्वारा रैगिंग प्रथा पर लिखी पुस्तक का विमोचन कुलपति डा. आरपी हुड्डा ने गुरुवार को किया। समारोह को संबोधित करने हुए उन्होने कहा कि वैसे तो एमडीयू में रैगिंग की परंपरा नहीं रही। लेकिन फिर भी इस समस्या से निजात पाने के लिए रैगिंग करने वाले विद्यार्थियों को विश्वविद्यालय से निकालने व उनका प्रवेश रद्द करने का निर्णय लिया गया है। रैगिंग के खिलाफ सभी को जोरदार मुहिम चलानी चाहिए।

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