दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा समलैंगिक संबंधों को वैध ठहराने के फैसले ने सरकार को असमंजस में डाल दिया है। इस विवादित मुद्दे पर जवाब मांगे जाने के 10 दिन बाद भी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपने रुख के बारे में फिलहाल कोई निर्णय नहीं लिया है। माना जा रहा है कि इस मुद्दे पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान सरकार और समय मांग सकती है। शीर्ष कोर्ट के चीफ जस्टिस केजी बालकृष्णन नीत बेंच इस मामले की सुनवाई करेगी। इससे पहले, बेंच ने कहा था कि संबंधित पक्षों की सुनवाई के बाद यदि जरूरी हुआ तो वह हाईकोर्ट के फैसले पर अंतरिम आदेश जारी करेगी।
मामले में सरकार की ओर से पेश होने वाले अटॉर्नी जनरल जीई वाहनवती ने बताया कि कोर्ट में अब तक कोई हलफनामा दायर नहीं किया गया है। यह देखना है कि कोर्ट में सोमवार को क्या होता है? उधर, समलैंगिक अधिकारों के हिमायती कार्यकर्ताओं ने हाईकोर्ट के फैसले के बचाव की व्यापक रणनीति बनाई है। गैर सरकारी संगठन नाज फाउंडेशन के साथ सक्रिय वकील शिवांगी राय ने बताया कि शीर्ष कोर्ट द्वारा अपील स्वीकारने के बाद हम अपना जवाब पेश करेंगे। फाउंडेशन की जनहित याचिका (पीआईएल) पर ही हाईकोर्ट ने रजामंदी पूर्वक बनाए गए समलैंगिक संबंधों को वैध ठहराया था।
मामले में सरकार की ओर से पेश होने वाले अटॉर्नी जनरल जीई वाहनवती ने बताया कि कोर्ट में अब तक कोई हलफनामा दायर नहीं किया गया है। यह देखना है कि कोर्ट में सोमवार को क्या होता है? उधर, समलैंगिक अधिकारों के हिमायती कार्यकर्ताओं ने हाईकोर्ट के फैसले के बचाव की व्यापक रणनीति बनाई है। गैर सरकारी संगठन नाज फाउंडेशन के साथ सक्रिय वकील शिवांगी राय ने बताया कि शीर्ष कोर्ट द्वारा अपील स्वीकारने के बाद हम अपना जवाब पेश करेंगे। फाउंडेशन की जनहित याचिका (पीआईएल) पर ही हाईकोर्ट ने रजामंदी पूर्वक बनाए गए समलैंगिक संबंधों को वैध ठहराया था।
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