देश के सर्वोच्च न्यायालय में चालू वर्ष की 31 मार्च तक 50 हजार 163 मामले लंबित थे जबकि इस दौरान राज्यों के उच्च न्यायालयों में 39 लाख 14 हजार 669 मामले सुनवाई की कतार में थे। विधि एवं न्याय मंत्री डॉ. एम. वीरप्पा मोइली ने गुरूवार को लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित जवाब में बताया कि इनके लंबित रहने के कुछ कारणों में जनसंख्या और मुकदमेबाजी का विस्तार, नए मामलों का संस्थापन, निर्वाचन अर्जियों के कारण अतिरिक्त भार, न्यायाधीशों की संख्या में अपर्याप्तता, उच्च न्यायालयों में रिक्तियों को भरने में देरी और अनावश्यक स्थगनों का मंजूर किया जाना आदि हैं।
उन्होंने बताया कि सरकार साविधिक रूप से उच्च न्यायालयों की संख्या का पुनर्विलोकन करती है। इनके आधार पर विभिन्न उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों के 163 पद स्वीकार किए गए हैं। यह भी आशा की जाती है कि न्यायाधीशों की संख्या बढने से उच्च न्यायालयों में बकाया मामलों में कमी करने में सहायता मिलेगी।
उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीशों की संख्या 26 से बढाकर 31 कर दी गई है। इसके अलावा सरकार ने त्वरित निपटान न्यायालय स्कीम लागू की है, जिसे 31 मार्च, 2010 तक बढा दिया गया है। इसमें अब तक 25.07 लाख मामले निपटाए जा चुके हैं।
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