चंडीगढ़ के नारी निकेतन में बलात्कार का शिकार हुई मानसिक रूप से विक्षिप्त महिला के गर्भपात के पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के आदेश पर उच्चतम न्यायालय ने आज रोक लगा दी। प्रधान न्यायाधीश केजी बालाकृष्णन की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, ‘‘उच्च न्यायालय के आदेश के कार्यान्वयन पर हम रोक लगाते हैं।’’
उल्लेखनीय है कि चिकित्सकों और मनोचिकित्सकों की विशेषज्ञ समिति की दो रिर्पोटों पर विचार करने के बाद पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने चंडीगढ़ स्थित नारी निकेतन में बलात्कार की शिकार हुई मानसिक रूप से विक्षिप्त महिला के गर्भपात का निर्देश दिया था। पीड़ित महिला के गर्भपात का समय बीता जा रहा है क्योंकि उसका गर्भ 19 सप्ताह का हो चुका है और गर्भपात संबंधी कानून के मुताबिक 20 सप्ताह के गर्भ के बाद गर्भपात की मनाही है। पीड़ित महिला ने उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में गुहार लगाई थी और उच्च न्यायालय ने चंडीगढ़ प्रशासन को सोमवार को एक आपात नोटिस जारी किया था। पीठ ने कहा, ‘‘हम उसके बारे में चिंतित है। चिंता इसलिए भी और ज्यादा है क्योंकि वह मानसिक रूप से विक्षिप्त है और उसे सामाजिक समर्थन हासिल नहीं है।’’ पीठ ने कहा, ‘‘समय भी बहुत कम है।’’
उल्लेखनीय है कि चिकित्सकों और मनोचिकित्सकों की विशेषज्ञ समिति की दो रिर्पोटों पर विचार करने के बाद पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने चंडीगढ़ स्थित नारी निकेतन में बलात्कार की शिकार हुई मानसिक रूप से विक्षिप्त महिला के गर्भपात का निर्देश दिया था। पीड़ित महिला के गर्भपात का समय बीता जा रहा है क्योंकि उसका गर्भ 19 सप्ताह का हो चुका है और गर्भपात संबंधी कानून के मुताबिक 20 सप्ताह के गर्भ के बाद गर्भपात की मनाही है। पीड़ित महिला ने उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में गुहार लगाई थी और उच्च न्यायालय ने चंडीगढ़ प्रशासन को सोमवार को एक आपात नोटिस जारी किया था। पीठ ने कहा, ‘‘हम उसके बारे में चिंतित है। चिंता इसलिए भी और ज्यादा है क्योंकि वह मानसिक रूप से विक्षिप्त है और उसे सामाजिक समर्थन हासिल नहीं है।’’ पीठ ने कहा, ‘‘समय भी बहुत कम है।’’
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