वयस्कों के बीच रजामंदी से बनाए गए समलैंगिक संबंधों को अपराधमुक्त करने के दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले को लेकर देशभर में आए तूफान के बीच केन्द्र सरकार उच्चतम न्यायालय से इस मामले को पांच न्यायाधीशों की बड़ी पीठ के विचारार्थ भेजने का अनुरोध कर सकती है।
दिल्ली उच्च न्यायालय के दो जुलाई के फैसले का सभी धर्मों के नेताओं ने कड़ा विरोध किया है। जानकारों का मानना है कि इसी के मद्देनजर जब 20 जुलाई को इस मामले की सुनवाई होगी तो केन्द्र सरकार उच्चतम न्यायालय से इस मामले को बड़ी पीठ के पास भेजने का अनुरोध कर सकती है। दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ता ने दलील दी है कि इस फैसले का भारतीय समाज के सांस्कृतिक ताने-बाने और सामाजिक मूल्यों पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है। इसके अलावा इसकी वजह से एड्स जैसी जानलेवा बीमारी भी भयानक रूप ले सकती हैं।
उच्चतम न्यायालय इस मामले में सरकार के रुख का इंतजार कर रहा है। यदि न्यायालय केन्द्र के अनुरोध को मान लेता है तो वह अगले आदेश तक उच्च न्यायालय के फैसले पर स्थगनादेश जारी कर इस मामले को बड़ी पीठ के पास भेज सकता है।
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