पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट
संपत्ति का खुलासा नहीं कर सकता: बालाकृष्णन
6 Comments - 19 Apr 2011
पूर्व प्रधान न्यायाधीश केजी बालाकृष्णन ने संपत्ति से संबंधित सूचनाओं के गलत उपयोग बताते हुए आयकर अधिकारियों से कहा कि वह अपनी संपत्ति का खुलासा नहीं कर सकते। सूचना का अधिकार (आरटीआई) कार्यकर्ता पी बालाचंद्रन की ओर से आयरकर विभाग से बालाकृष्णन की संपत्ति की सूचना मांगने पर आयकर अधिकारियों ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि पूर्व मुख्य न्यायाधीश ने हलफाना दाखिल किया है कि वह अपनी सम्पत्ति को ...

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संवैधानिक अधिकार है संपत्ति का अधिकार
4 Comments - 19 Apr 2011
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि संपत्ति का अधिकार संवैधानिक अधिकार है और सरकार मनमाने तरीके से किसी व्यक्ति को उसकी भूमि से वंचित नहीं कर सकती। न्यायमूर्ति जी एस सिंघवी और न्यायमूर्ति ए के गांगुली की पीठ ने अपने एक फैसले में कहा कि जरूरत के नाम पर निजी संस्थानों के लिए भूमि अधिग्रहण करने में सरकार के काम को अदालतों को 'संदेह' की नजर से देखना चाहिए। पीठ की ओर से फैसला लिखते हुए न्यायमूर्ति ...

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Monday, July 27, 2009

अस्थायी कर्मचारी को हटाया जा सकता है : सुप्रीम कोर्ट


उच्चतम न्यायालय ने आज व्यवस्था दी कि किसी एक नियोक्ता के विभिन्न प्रतिष्ठानों में कार्यरत अस्थायी कर्मचारी को हटाया जा सकता है, भले ही उसने कुल मिलाकर 240 दिन तक काम कर लिया हो।

न्यायमूर्ति तरण चटर्जी और न्यायमूर्ति आर.एम. लोढा की खंडपीठ ने कहा कि औद्योगिक विवाद अधिनियम की धारा 25-एफ के तहत कर्मचारी को मिला संरक्षण उस स्थिति में लागू नहीं होगा, जब कर्मचारी ने एक ही प्रबंधन के तहत अलग-अलग प्रतिष्ठानों में काम किया हो। इस अधिनियम के तहत अगर एक कर्मचारी ने 240 दिनों तक लगातार अपनी सेवाएं दी हों तो बिना नोटिस दिए कर्मचारी को बर्खास्त नहीं किया जा सकता।

जुम्माशा दीवान के मामले में पूर्व में किए गए फैसले का हवाला देते हुए न्यायालय ने कहा, जब एक अस्थायी कर्मचारी एक ही नियोक्ता के विभिन्न प्रतिष्ठानों में कार्यरत होता है, तो सतत सेवा की अवधारणा लागू नहीं की जा सकती।

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