उच्चतम न्यायालय ने आज व्यवस्था दी कि किसी एक नियोक्ता के विभिन्न प्रतिष्ठानों में कार्यरत अस्थायी कर्मचारी को हटाया जा सकता है, भले ही उसने कुल मिलाकर 240 दिन तक काम कर लिया हो।
न्यायमूर्ति तरण चटर्जी और न्यायमूर्ति आर.एम. लोढा की खंडपीठ ने कहा कि औद्योगिक विवाद अधिनियम की धारा 25-एफ के तहत कर्मचारी को मिला संरक्षण उस स्थिति में लागू नहीं होगा, जब कर्मचारी ने एक ही प्रबंधन के तहत अलग-अलग प्रतिष्ठानों में काम किया हो। इस अधिनियम के तहत अगर एक कर्मचारी ने 240 दिनों तक लगातार अपनी सेवाएं दी हों तो बिना नोटिस दिए कर्मचारी को बर्खास्त नहीं किया जा सकता।
जुम्माशा दीवान के मामले में पूर्व में किए गए फैसले का हवाला देते हुए न्यायालय ने कहा, जब एक अस्थायी कर्मचारी एक ही नियोक्ता के विभिन्न प्रतिष्ठानों में कार्यरत होता है, तो सतत सेवा की अवधारणा लागू नहीं की जा सकती।
न्यायमूर्ति तरण चटर्जी और न्यायमूर्ति आर.एम. लोढा की खंडपीठ ने कहा कि औद्योगिक विवाद अधिनियम की धारा 25-एफ के तहत कर्मचारी को मिला संरक्षण उस स्थिति में लागू नहीं होगा, जब कर्मचारी ने एक ही प्रबंधन के तहत अलग-अलग प्रतिष्ठानों में काम किया हो। इस अधिनियम के तहत अगर एक कर्मचारी ने 240 दिनों तक लगातार अपनी सेवाएं दी हों तो बिना नोटिस दिए कर्मचारी को बर्खास्त नहीं किया जा सकता।
जुम्माशा दीवान के मामले में पूर्व में किए गए फैसले का हवाला देते हुए न्यायालय ने कहा, जब एक अस्थायी कर्मचारी एक ही नियोक्ता के विभिन्न प्रतिष्ठानों में कार्यरत होता है, तो सतत सेवा की अवधारणा लागू नहीं की जा सकती।
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