सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर कोई मकान मालिक किराया स्वीकार करने से इनकार करता है तो किराएदार अनिवार्य रूप से राशि किराया नियंत्रक [कोर्ट] के पास जमा करा दे अन्यथा उसे मकान खाली करना पड़ सकता है।
न्यायालय ने दिल्ली किराया नियंत्रण कानून की धारा 27 की व्याख्या करते हुए कहा कि मकान मालिक द्वारा किराया स्वीकार नहीं करने की स्थिति में किराएदार के लिए राशि जमा कराना अनिवार्य है। दूसरे शब्दों में किराएदार यह कहकर किराए से नहीं बच सकता कि मकान मालिक ने किराया स्वीकार करने से इंकार कर दिया है।
न्यायमूर्ति तरुण चटर्जी और न्यायमूर्ति एच एल दत्तु की पीठ ने भूस्वामी सरिया गोयल की अपील पर यह आदेश दिया। गोयल का दक्षिण दिल्ली के यूसुफ सराय में अपने किराएदार किशन चांद से विवाद था। चांद ने दलील दी थी कि उसने किराया मनीआर्डर से भेज दिया था लेकिन मकान मालिक ने उसे स्वीकार करने से इनकार कर दिया।
न्यायालय ने दिल्ली किराया नियंत्रण कानून की धारा 27 की व्याख्या करते हुए कहा कि मकान मालिक द्वारा किराया स्वीकार नहीं करने की स्थिति में किराएदार के लिए राशि जमा कराना अनिवार्य है। दूसरे शब्दों में किराएदार यह कहकर किराए से नहीं बच सकता कि मकान मालिक ने किराया स्वीकार करने से इंकार कर दिया है।
न्यायमूर्ति तरुण चटर्जी और न्यायमूर्ति एच एल दत्तु की पीठ ने भूस्वामी सरिया गोयल की अपील पर यह आदेश दिया। गोयल का दक्षिण दिल्ली के यूसुफ सराय में अपने किराएदार किशन चांद से विवाद था। चांद ने दलील दी थी कि उसने किराया मनीआर्डर से भेज दिया था लेकिन मकान मालिक ने उसे स्वीकार करने से इनकार कर दिया।
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