पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Thursday, July 30, 2009

बीएमडब्ल्यू मामला : वकील आर.के.आनंद की सजा बरकरार


न्यायिक प्रक्रिया में बाधा डालने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने जाने-माने क्रिमिनल लायर आई यू खान को बरी कर दिया, लेकिन आर.के. आनंद के आचरण को गंभीर माना है। सुप्रीम कोर्ट ने न सिर्फ दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा बीएमडब्ल्यू कांड में आनंद को दोषी ठहराए जाने के फैसले पर अपनी मुहर लगा दी है, बल्कि सजा बढ़ाने के मुददे पर आनंद को नोटिस भी जारी किया है। इसके साथ ही कोर्ट ने मीडिया की भूमिका की सराहना करते हुए स्टिंग आपरेशन को जनहित में माना है। अदालत ने मीडिया को सावधान करते हुए पेशेवर स्तर बनाए रखने के लिए स्वयं नियम तय करने की सलाह भी दी है। 

दिल्ली हाईकोर्ट ने बीएमडब्लू कांड में गवाह कुलकर्णी को प्रभावित कर न्यायिक प्रक्रिया में दखल देने के जुर्म में खान और आनंद को न्यायालय की अवमानना का दोषी ठहराया था। हाईकोर्ट ने दोनों वकीलों पर चार माह के लिए हाईकोर्ट और उसकी अधीनस्थ अदालतों में प्रैक्टिस करने पर रोक लगा दी थी। साथ ही, उनकी वरिष्ठता भी छीन ली थी। उन पर दो हजार रुपये का जुर्माना भी किया गया था। दोनों वकीलों ने फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। 

न्यायमूर्ति बी एन अग्रवाल न्यायमूर्ति जी एस सिंघवी व न्यायमूर्ति आफताब आलम की पीठ ने कहा कि सरकारी वकील के तौर पर खान का आचरण ठीक नहीं था, फिर भी उन पर न्यायालय की अवमानना का मामला नहीं बनता है। कोर्ट ने खान की अपील स्वीकार करते हुए उन्हें दी गई सजा समाप्त कर दी है और कहा है कि हाई कोर्ट इस फैसले को देखते हुए उन्हें वरिष्ठता देने पर विचार कर सकता है। 

आनंद के आचरण को गंभीर मानते हुए पीठ ने कहा कि उन्हें दी गई सजा अपराध की गंभीरता के लिहाज से नाम मात्र की है। उनके आचरण को देखते हुए उन्हें लंबे समय तक अदालती कार्रवाई से बाहर रखा जाना चाहिए। पीठ ने सजा बढ़ाने के मुद्दे पर आनंद को कारण बताओ नोटिस जारी कर पूछा है कि क्यों न उन्हें लंबे समय के लिए वकालत करने से रोक दिया जाए? कोर्ट ने नोटिस का जवाब देने के लिए आनंद को आठ सप्ताह का समय दिया है।

आर.के. आनंद की सजा आज बरकरार रखे जाने के उच्चतम न्यायालय के फैसले की विधि जगत में यह कहते हुए सराहना की गई कि यह निर्णय वकालत के पेशे के लिए अच्छा है और इससे तंत्र को साफ सुथरा बनाने में मदद मिलेगी। जानेमाने वकील राम जेठमलानी और के.टी.एस. तुलसी ने इस फैसले का यह कहते हुए स्वागत किया कि इससे पेशे की ‘गरिमा’ बहाल करने में मदद मिलेगी। बीएमडब्ल्यू ‘हिट एंड रन’ मामले में संजीव नंदा का बचाव करने वाले जेठमलानी ने कहा मैं फैसले से खुश हूं लेकिन चीजें अभी भी छिपी हुई हैं और किसी दिन उन्हें भी उजागर होना होगा। यह हमारे लिए और विधि तंत्र के लिए अच्छा है। वह (आनंद) सजा का हकदार है क्योंकि उसने अपने मुवक्किल की कीमत पर रुपया कमाने की कोशिश की।
के.टी.एस. तुलसी ने कहा, सत्य की विजय हुई। टेप की रिकॉर्डिंग की विश्वसनीयता पर कभी कोई संदेह नहीं था। यह बेहद दुख की बात है कि अंतिम निर्णय आने में लंबा समय लगा। लेकिन मुझे खुशी है कि उच्चतम न्यायालय ने वकालत के पेशे के महत्व को दोहराया और यह समाज एवं अदालत का कर्तव्य है। वकीलों के लिए आत्मनिरीक्षण की वकालत करते हुए उन्होंने कहा, हम वकीलों को यह याद रखने की जरूरत है कि वकालत का पेशा कोई व्यापार या व्यावसाय नहीं बल्कि एक नोबेल पेशा है।

0 टिप्पणियाँ: