पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Saturday, July 18, 2009

उदयपुर में हाईकोर्ट बैन्च की स्थापना की मांग को लेकर वकीलों ने जुलूस निकाला।


उदयपुर में हाईकोर्ट बैन्च की स्थापना की मांग को लेकर आज भी वकीलों ने अदालतों में काम नहीं किया व कलेक्ट्री चौराहे पर सभा व मानव श्रृंखला के बाद शहर में नारे लगाते हुए जुलूस निकाला। सभा को सम्बोधित करते हुए अभिभाषकों ने कहा कि दूरी के अलावा आदिवासी जनसंख्या के आधार पर भी उदयपुर में हाईकोर्ट बैन्च की मांग तुरन्त पूरी की जानी चाहिये। उन्होंने कहा कि यह जनता का आन्दोलन है। क्यों कि बैन्च नहीं होने का खामियाजा यहां के गरीब आदिवासी लोगों को उठाना पडता है जो जाधपुर तक जाने की हैसियत नहीं रखते व इसके अभाव में न्याय से वंचित रहते हैं। इस स्थिति में सैकडों लोग जेलों में बन्द है व अपील नहीं कर पारहे। सरकार ने दूरी के लिहाज से लोगों को सहज न्याय सुलभ कराने के लिए तहसील स्तरों पर अदालतें खोलदी, लेकिन इसी पैमाने पर उदयपुर में हाईकोर्ट बैंच की मांग पूरी नहीं की जारही है। जबकि मुख्यमंत्री गहलोत सहित प्रतिपक्ष के नेताओं ने भी इस मांग को उचित ठहराया है व सहमति जताई है। उधर जोधपुर हाईकोर्ट में हजारों मामले लम्बित हैं, जिनकी समय पर सुनवाई तक नहीं हो पाती। ऐसे में उदयपुर में बैन्च की स्थापना से जोधपुर हाईकोर्ट में भी काम के दबाव में कमी आएगी। सभा को वरिष्ठï अधिवक्ता सवाईलाल गुप्ता, शाहबाज खान पठान, भगवत पुरी, भालचन्द्र नागर, सुशील कुमार आदि ने सम्बोधित किया। सभा के साथ ही वकीलों द्वारा इस स्थान पर ही बांसवाडा-रतलाम मार्ग पर मानव-श्रंृखला बनाई गई, जिससे आवागन कुछ देर के लिए ठप्प हो गया।
सभा के बाद वकीलों ने जुलूस निकाला जो कलेक्ट्री चौराहे से जवाहरपुल, पुराना बस स्टेन्ड होकर गांधीमूर्ति पर पहुंचा। गांधीमूर्ति पर भी उन्होंने पांच मिनिट के लिए सांकेतिक रूपसे मानव-श्रृंखला बना इस मांग की ओर लोगों का ध्यान खींचा। जुलूस के बाद सभी अधिवक्ता अभिभाषक संघ के कक्ष में पहुंचे व आन्दोलन के अगले कार्यक्रम के बारे में विचार किया गया।

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