लंबी जद्दोजहद के बाद आखिरकार राज्यपाल एस.के. सिंह ने आरक्षण मुद्दे पर विधानसभा से पारित विधेयक को मंजूरी देते हुए उस पर हस्ताक्षर करने की सहमति जता दी। इस विधेयक के तहत अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़ा वर्ग को आरक्षण की मौजूदा व्यवस्था कायम रखते हुए गुर्जर, रैबारी, गाडिय़ा लुहार व बंजारों को विशेष पिछड़ा वर्ग में पांच फीसदी तथा अनारक्षित वर्ग को आर्थिक पिछड़ा वर्ग के रूप में 14 फीसदी आरक्षण देने का प्रावधान है। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार इस मसले पर आज रात मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राजभवन में राज्यपाल से भेंट कर करीब एक साल से लम्बित इस विधेयक पर हस्ताक्षर करने का अनुरोध किया। लगभग एक घंटे के विचार—विमर्श के बाद राज्यपाल इस विधेयक पर हस्ताक्षर करने पर सहमत हो गए।
उल्लेखनीय है कि राज्यपाल ने इस विधेयक को करीब एक साल से रोक रखा था। उनका कहना था कि विधेयक के प्रावधानों के बारे में शंकाओं पर कानूनी राय लेने के बाद ही फैसला किया जाएगा। अब राज्यपाल का तर्क है कि उनकी कानूनी प्रक्रिया पूरी हो गई है।
राज्यपाल ने यह करते समय स्पष्ट किया कि 'इस विधेयक को अनुमति प्रदान करता हूं।' इस विधेयक को अनुमति देने में जो समय लगा उसका कारण था कि उसके बहुत सारे संवैधानिक पक्षों के विषय में संवैधानिक विशेषज्ञों एवं विधिवेत्ताओं का परामर्श लेना प्रतीत हुआ। सूत्रों के अनुसार अनुमति के लिए जब यह विधेयक उनके समक्ष आया तो राज्यपाल को इसमें अनेक संवैधानिक पहलू ऐसे दिखे कि जिनका गहन ङ्क्षचतन एवं परामर्श के बिना स्वीकृति देना उन्हें उचित प्रतीत नहीं हुआ। उल्लेखनीय है कि यह विधेयक भारतीय जनता पार्टी के शासन में गत वर्ष १६ जुलाई को विधानसभा में सर्वसम्मति से पास कर राज्यपाल के पास भेजा गया था।
इससे पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अध्यक्षता में यहां हुई मंत्रिमंडल की बैठक में भी लंबित पड़े आरक्षण विधेयक पर चर्चा हुई थी। फिर मुख्यमंत्री ने इस मुद्दे पर राज्यपाल से चर्चा की। इसके बाद राज्यपाल ने विधेयक पर हस्ताक्षर कर दिए।
राज्यपाल ने यह करते समय स्पष्ट किया कि 'इस विधेयक को अनुमति प्रदान करता हूं।' इस विधेयक को अनुमति देने में जो समय लगा उसका कारण था कि उसके बहुत सारे संवैधानिक पक्षों के विषय में संवैधानिक विशेषज्ञों एवं विधिवेत्ताओं का परामर्श लेना प्रतीत हुआ। सूत्रों के अनुसार अनुमति के लिए जब यह विधेयक उनके समक्ष आया तो राज्यपाल को इसमें अनेक संवैधानिक पहलू ऐसे दिखे कि जिनका गहन ङ्क्षचतन एवं परामर्श के बिना स्वीकृति देना उन्हें उचित प्रतीत नहीं हुआ। उल्लेखनीय है कि यह विधेयक भारतीय जनता पार्टी के शासन में गत वर्ष १६ जुलाई को विधानसभा में सर्वसम्मति से पास कर राज्यपाल के पास भेजा गया था।
इससे पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अध्यक्षता में यहां हुई मंत्रिमंडल की बैठक में भी लंबित पड़े आरक्षण विधेयक पर चर्चा हुई थी। फिर मुख्यमंत्री ने इस मुद्दे पर राज्यपाल से चर्चा की। इसके बाद राज्यपाल ने विधेयक पर हस्ताक्षर कर दिए।
विधि सचिव ने देर रात कहा कि शुक्रवार को गजट नोटिफिकेशन जारी कर दिया जाएगा और इसके साथ ही आरक्षण लागू हो जाएगा।
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