उच्चतम न्यायालय ने जम्मू-कश्मीर के शोपियाँ में दो महिलाओं के साथ कथित बलात्कार के बाद उनकी हत्या के सिलसिले में गिरफ्तार किए गए पुलिस अधिकारियों के नारको विश्लेषण परीक्षण पर सोमवार को स्थगन लगा दिया और उनकी जमानत याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई का फैसला किया।
शीर्ष न्यायालय ने पुलिस अधिकारियों के जमानत आवेदन पर सुनवाई करने का फैसला किया क्योंकि उन्होंने इस आधार पर राहत पाने के लिए राज्य की एक सत्र अदालत में जाने के सुझाव को स्वीकार नहीं किया था कि जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय के आदेश के मद्देनजर स्थिति उनके पक्ष में नहीं है, जिसमें बिना उनका पक्ष सुने आदेश दे दिया गया।
वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने प्रधान न्यायाधीश केजी बालकृष्णन और न्यायमूर्ति पी. सदाशिवम की पीठ के समक्ष कहा कि मैं चाहता हूँ कि आप जमानत पर विचार करें। पुलिस अधीक्षक जावेद इकबाल मट्टू, उपाधीक्षक रोहित बसकोत्रा सहित पुलिस अधिकारियों ने उच्च न्यायालय के आदेश पर स्थगन लगाने की माँग की थी, जिसके बाद इनके साथ दो अन्य अधिकारी एसएचओ शफीक अहमद और उपनिरीक्षक गाजी अब्दुल रहमान को गिरफ्तार किया गया। पीठ ने कहा कि जमानत याचिका पर विचार करने के लिए राज्य सरकार के जवाब को देखना होगा। पीठ ने मामले की सुनवाई को 24 जुलाई तक के लिए टाल दिया।
शीर्ष न्यायालय ने पुलिस अधिकारियों के जमानत आवेदन पर सुनवाई करने का फैसला किया क्योंकि उन्होंने इस आधार पर राहत पाने के लिए राज्य की एक सत्र अदालत में जाने के सुझाव को स्वीकार नहीं किया था कि जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय के आदेश के मद्देनजर स्थिति उनके पक्ष में नहीं है, जिसमें बिना उनका पक्ष सुने आदेश दे दिया गया।
वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने प्रधान न्यायाधीश केजी बालकृष्णन और न्यायमूर्ति पी. सदाशिवम की पीठ के समक्ष कहा कि मैं चाहता हूँ कि आप जमानत पर विचार करें। पुलिस अधीक्षक जावेद इकबाल मट्टू, उपाधीक्षक रोहित बसकोत्रा सहित पुलिस अधिकारियों ने उच्च न्यायालय के आदेश पर स्थगन लगाने की माँग की थी, जिसके बाद इनके साथ दो अन्य अधिकारी एसएचओ शफीक अहमद और उपनिरीक्षक गाजी अब्दुल रहमान को गिरफ्तार किया गया। पीठ ने कहा कि जमानत याचिका पर विचार करने के लिए राज्य सरकार के जवाब को देखना होगा। पीठ ने मामले की सुनवाई को 24 जुलाई तक के लिए टाल दिया।
0 टिप्पणियाँ:
Post a Comment