सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद दिल्ली को 125 क्यूसेक पानी न देने के मामले में मंगलवार को हरियाणा ने सुप्रीम कोर्ट से बिना शर्त माफी मांग ली।
हरियाणा की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के अवमानना नोटिस पर दोनों अधिकारी कोर्ट में पेश हुए हैं। उनकी ओर से बिना शर्त माफी मांगी जा रही है। हालांकि हरियाणा पानी देने के आदेश पर पहले ही अमल कर चुका है। इस मामले में मई 2000 में सुप्रीमकोर्ट ने हरियाणा को निर्देश दिया था कि वह दिल्ली को 125 क्यूसेक पानी रोजाना दे। दिल्ली ने कई बार हरियाणा से कोर्ट के आदेश के मुताबिक पानी देने को कहा। लेकिन हरियाणा ने तय मात्रा से कम पानी ही दिया। अंत में दिल्ली जलबोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर हरियाणा पर न्यायालय के आदेश की अवहेलना करने का आरोप लगाया था। जलबोर्ड की अर्जी पर कोर्ट ने हरियाणा को तत्काल आदेश पर अमल करने का निर्देश दिया और साथ ही दो अधिकारियों को अवमानना नोटिस जारी कर कोर्ट में तलब किया था।
इसके अलावा पंजाब सरकार द्वारा जल बंटवारे संबंधी समझौतों को रद करने का मामला भी मंगलवार को सुनवाई की तिथि तय करने के लिए लगा था। इस मामले में राष्ट्रपति ने सुप्रीम कोर्ट को रिफरेंस भेज कर पंजाब सरकार के कानून की समीक्षा का अनुरोध किया है। रिफरेंस पर संविधानपीठ को सुनवाई करनी है। कोर्ट को मंगलवार को सुनवाई की तिथि तय करनी थी, लेकिन कोई तिथि तय नहीं हो सकी और कोर्ट ने बाद में उचित तिथि तय करने की बात कहते हुए सुनवाई टाल दी।
हरियाणा की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के अवमानना नोटिस पर दोनों अधिकारी कोर्ट में पेश हुए हैं। उनकी ओर से बिना शर्त माफी मांगी जा रही है। हालांकि हरियाणा पानी देने के आदेश पर पहले ही अमल कर चुका है। इस मामले में मई 2000 में सुप्रीमकोर्ट ने हरियाणा को निर्देश दिया था कि वह दिल्ली को 125 क्यूसेक पानी रोजाना दे। दिल्ली ने कई बार हरियाणा से कोर्ट के आदेश के मुताबिक पानी देने को कहा। लेकिन हरियाणा ने तय मात्रा से कम पानी ही दिया। अंत में दिल्ली जलबोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर हरियाणा पर न्यायालय के आदेश की अवहेलना करने का आरोप लगाया था। जलबोर्ड की अर्जी पर कोर्ट ने हरियाणा को तत्काल आदेश पर अमल करने का निर्देश दिया और साथ ही दो अधिकारियों को अवमानना नोटिस जारी कर कोर्ट में तलब किया था।
इसके अलावा पंजाब सरकार द्वारा जल बंटवारे संबंधी समझौतों को रद करने का मामला भी मंगलवार को सुनवाई की तिथि तय करने के लिए लगा था। इस मामले में राष्ट्रपति ने सुप्रीम कोर्ट को रिफरेंस भेज कर पंजाब सरकार के कानून की समीक्षा का अनुरोध किया है। रिफरेंस पर संविधानपीठ को सुनवाई करनी है। कोर्ट को मंगलवार को सुनवाई की तिथि तय करनी थी, लेकिन कोई तिथि तय नहीं हो सकी और कोर्ट ने बाद में उचित तिथि तय करने की बात कहते हुए सुनवाई टाल दी।
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