विवादास्पद रियलिटी शो ‘सच का सामना' के प्रसारण पर रोक लगाने के लिए दायर की गई दो याचिकाओं को दिल्ली उच्च न्यायालय ने आज यह कहते हुए खारिज कर दिया कि नैतिकता की पहरेदारी करना उसका काम नहीं है।
मुख्य न्यायाधीश ए पी शाह के नेतृत्व वाली खंडपीठ ने याचिकाकर्ताओं को इस मुद्दे पर केंद्र सरकार से संपर्क करने की सलाह दी । पीठ ने कहा कि कार्यक्रम पर प्रतिबंध लगना चाहिए या नहीं यह फैसला करना सरकार का काम है। यह अदालत का काम नहीं है। देश में इससे भी ज्यादा गंभीर समस्याएं मौजूद हैं जिन्हें हमें सुलझाना है। याचिकाकर्ता दीपक मैनी और प्रभात कुमार ने स्टार प्लस चैनल पर प्रसारित हो रहे इस रियलिटी शो पर रोक लगाने के लिए अदालत की शरण ली थी। उनका कहना था कि यह कार्यक्रम भारतीय सामाजिक मूल्यों के खिलाफ है।
इस दलील को खारिज करते हुए अदालत ने कहा कि हमारी संस्कृति इतनी कमजोर नहीं है कि एक टीवी कार्यक्रम से यह प्रभावित हो जाए।
मुख्य न्यायाधीश ए पी शाह के नेतृत्व वाली खंडपीठ ने याचिकाकर्ताओं को इस मुद्दे पर केंद्र सरकार से संपर्क करने की सलाह दी । पीठ ने कहा कि कार्यक्रम पर प्रतिबंध लगना चाहिए या नहीं यह फैसला करना सरकार का काम है। यह अदालत का काम नहीं है। देश में इससे भी ज्यादा गंभीर समस्याएं मौजूद हैं जिन्हें हमें सुलझाना है। याचिकाकर्ता दीपक मैनी और प्रभात कुमार ने स्टार प्लस चैनल पर प्रसारित हो रहे इस रियलिटी शो पर रोक लगाने के लिए अदालत की शरण ली थी। उनका कहना था कि यह कार्यक्रम भारतीय सामाजिक मूल्यों के खिलाफ है।
इस दलील को खारिज करते हुए अदालत ने कहा कि हमारी संस्कृति इतनी कमजोर नहीं है कि एक टीवी कार्यक्रम से यह प्रभावित हो जाए।
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