च्च न्यायालय तथा अधीनस्थ न्यायालयों में लंबित दीवानी और आपराधिक मुकदमों के मामले में उत्तर प्रदेश पहले स्थान पर है।
कानून एवं न्याय मंत्रालय के हालिया आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2008 में उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद उच्च न्यायालय में कुल नौ लाख 11 हजार 858 मामले लंबित हैं। आंकड़ों के अनुसार प्रदेश के विभिन्न अधीनस्थ न्यायालयों में 51 लाख 60 हजार 174 मामले लंबित हैं। मद्रास, बांबे और कलकत्ता उच्च न्यायालय में भी क्रमश: चार लाख 51 हजार, 496, तीन लाख 69 हजार 978 और तीन लाख 473 मामले लंबित हैं। उक्त अवधि में पटना उच्च न्यायालय में एक लाख बीस हजार, दिल्ली उच्च न्यायालय में लगभग 70 हजार मामले लंबित हैं।
इसमें यह भी कहा गया है कि मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में एक लाख 22 हजार 719 दीवानी मामले जबकि साठ अजार 305 आपराधिक मामले ऐसे हैं जिनका फैसला नहीं हुआ है। पूर्वोत्तर प्रदेशों की स्थिति इस मामले में अन्य राज्यों की तुलना में बेहतर है। गुवाहाटी उच्च न्यायालय में 62 हजार 110 मामले लंबित हैं जबकि ऐसे मामलों की संख्या सिक्किम उच्च न्यायालय में केवल 80 है। पिछले साल उत्तराखंड उच्च न्यायालय में यह संख्या 17 हजार 822 है।
कानून एवं न्याय मंत्रालय के हालिया आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2008 में उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद उच्च न्यायालय में कुल नौ लाख 11 हजार 858 मामले लंबित हैं। आंकड़ों के अनुसार प्रदेश के विभिन्न अधीनस्थ न्यायालयों में 51 लाख 60 हजार 174 मामले लंबित हैं। मद्रास, बांबे और कलकत्ता उच्च न्यायालय में भी क्रमश: चार लाख 51 हजार, 496, तीन लाख 69 हजार 978 और तीन लाख 473 मामले लंबित हैं। उक्त अवधि में पटना उच्च न्यायालय में एक लाख बीस हजार, दिल्ली उच्च न्यायालय में लगभग 70 हजार मामले लंबित हैं।
इसमें यह भी कहा गया है कि मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में एक लाख 22 हजार 719 दीवानी मामले जबकि साठ अजार 305 आपराधिक मामले ऐसे हैं जिनका फैसला नहीं हुआ है। पूर्वोत्तर प्रदेशों की स्थिति इस मामले में अन्य राज्यों की तुलना में बेहतर है। गुवाहाटी उच्च न्यायालय में 62 हजार 110 मामले लंबित हैं जबकि ऐसे मामलों की संख्या सिक्किम उच्च न्यायालय में केवल 80 है। पिछले साल उत्तराखंड उच्च न्यायालय में यह संख्या 17 हजार 822 है।
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