पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट
संपत्ति का खुलासा नहीं कर सकता: बालाकृष्णन
6 Comments - 19 Apr 2011
पूर्व प्रधान न्यायाधीश केजी बालाकृष्णन ने संपत्ति से संबंधित सूचनाओं के गलत उपयोग बताते हुए आयकर अधिकारियों से कहा कि वह अपनी संपत्ति का खुलासा नहीं कर सकते। सूचना का अधिकार (आरटीआई) कार्यकर्ता पी बालाचंद्रन की ओर से आयरकर विभाग से बालाकृष्णन की संपत्ति की सूचना मांगने पर आयकर अधिकारियों ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि पूर्व मुख्य न्यायाधीश ने हलफाना दाखिल किया है कि वह अपनी सम्पत्ति को ...

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संवैधानिक अधिकार है संपत्ति का अधिकार
4 Comments - 19 Apr 2011
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि संपत्ति का अधिकार संवैधानिक अधिकार है और सरकार मनमाने तरीके से किसी व्यक्ति को उसकी भूमि से वंचित नहीं कर सकती। न्यायमूर्ति जी एस सिंघवी और न्यायमूर्ति ए के गांगुली की पीठ ने अपने एक फैसले में कहा कि जरूरत के नाम पर निजी संस्थानों के लिए भूमि अधिग्रहण करने में सरकार के काम को अदालतों को 'संदेह' की नजर से देखना चाहिए। पीठ की ओर से फैसला लिखते हुए न्यायमूर्ति ...

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Tuesday, July 28, 2009

लंबित मामलों में उत्तर प्रदेश अव्वल।


च्च न्यायालय तथा अधीनस्थ न्यायालयों में लंबित दीवानी और आपराधिक मुकदमों के मामले में उत्तर प्रदेश पहले स्थान पर है।
कानून एवं न्याय मंत्रालय के हालिया आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2008 में उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद उच्च न्यायालय में कुल नौ लाख 11 हजार 858 मामले लंबित हैं। आंकड़ों के अनुसार प्रदेश के विभिन्न अधीनस्थ न्यायालयों में 51 लाख 60 हजार 174 मामले लंबित हैं। मद्रास, बांबे और कलकत्ता उच्च न्यायालय में भी क्रमश: चार लाख 51 हजार, 496, तीन लाख 69 हजार 978 और तीन लाख 473 मामले लंबित हैं। उक्त अवधि में पटना उच्च न्यायालय में एक लाख बीस हजार, दिल्ली उच्च न्यायालय में लगभग 70 हजार मामले लंबित हैं।
इसमें यह भी कहा गया है कि मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में एक लाख 22 हजार 719 दीवानी मामले जबकि साठ अजार 305 आपराधिक मामले ऐसे हैं जिनका फैसला नहीं हुआ है। पूर्वोत्तर प्रदेशों की स्थिति इस मामले में अन्य राज्यों की तुलना में बेहतर है। गुवाहाटी उच्च न्यायालय में 62 हजार 110 मामले लंबित हैं जबकि ऐसे मामलों की संख्या सिक्किम उच्च न्यायालय में केवल 80 है। पिछले साल उत्तराखंड उच्च न्यायालय में यह संख्या 17 हजार 822 है।

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