सुप्रीम कोर्ट ने व्यवस्था दी है कि पत्नी के उत्तराधिकार का अधिकार सिर्फ इसलिए खत्म नहीं हो जाता कि पति ने विवाह से पहले अपनी मां को प्रोविडेंट फंड एवं सेवानिवृत्ति के अन्य लाभों में नामित किया था।
न्यायाधीश दलवीर भंडारी और मुकुंदकम शर्मा की पीठ ने कहा कि कोई नामित सिर्फ इसलिए स्वत: अधिकार प्राप्त नहीं कर लेता, क्योंकि उसे मृतक को प्राप्त होने वाली राशि के लिए नामित किया गया था। सरबती देवी मामले का उदाहरण देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बीमा कराने वाले की मौत हो जाने पर जीवन बीमा के तहत दी जाने वाली राशि का लाभ किसी को सिर्फ इसलिए नहीं मिल सकता कि नामित में उसका नाम था।
अदालत ने कहा कि राशि के लिए बीमित व्यक्ति के उत्तराधिकारी भी दावा कर सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने विधवा शिप्रा सेनगुप्ता की याचिका पर यह फैसला दिया। शिप्रा ने मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी जिसमें हाईकोर्ट ने फैसला दिया था कि निहारबाला सेनगुप्ता को लाभ मिलना चाहिए क्योंकि बेटे ने विवाह से पहले उन्हें नामित किया था। भारतीय स्टेट बैंक में काम करने वाली शिप्रा के पति श्यामल गुप्ता की 1990 में मौत हो गई थी जिसके बाद उत्तराधिकार की लड़ाई शुरू हो गई थी।
न्यायाधीश दलवीर भंडारी और मुकुंदकम शर्मा की पीठ ने कहा कि कोई नामित सिर्फ इसलिए स्वत: अधिकार प्राप्त नहीं कर लेता, क्योंकि उसे मृतक को प्राप्त होने वाली राशि के लिए नामित किया गया था। सरबती देवी मामले का उदाहरण देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बीमा कराने वाले की मौत हो जाने पर जीवन बीमा के तहत दी जाने वाली राशि का लाभ किसी को सिर्फ इसलिए नहीं मिल सकता कि नामित में उसका नाम था।
अदालत ने कहा कि राशि के लिए बीमित व्यक्ति के उत्तराधिकारी भी दावा कर सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने विधवा शिप्रा सेनगुप्ता की याचिका पर यह फैसला दिया। शिप्रा ने मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी जिसमें हाईकोर्ट ने फैसला दिया था कि निहारबाला सेनगुप्ता को लाभ मिलना चाहिए क्योंकि बेटे ने विवाह से पहले उन्हें नामित किया था। भारतीय स्टेट बैंक में काम करने वाली शिप्रा के पति श्यामल गुप्ता की 1990 में मौत हो गई थी जिसके बाद उत्तराधिकार की लड़ाई शुरू हो गई थी।
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