उच्चतम न्यायालय ने लखनऊ स्थित पुरानी जेल को तोड़ने के निर्णय पर आगे बढ़ने के मायावती सरकार के कदम पर रोक लगाने से इंकार करते हुए कहा है कि इसे धरोहर इमारत घोषित नहीं किया गया है।
उच्चतम न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति के जी बालाकृष्णन तथा न्यायमूर्ति पी सदाशिवम की पीठ ने कहा अगर इसे धरोहर इमारत घोषित नहीं किया गया है तो हम ऐसा आदेश नहीं दे सकते हैं कि इसे नहीं तोड़ा जाए। उच्चतम न्यायालय में एक वकील संगम लाल पांडे की याचिका पर सुनवाई चल रही थी जिन्होंने कथित धरोहर के निर्माण के उद्देश्य से वर्तमान जेल को तोड़ने के प्रशासन के निर्णय पर प्रश्न खड़ा किया था।
बहरहाल, पीठ ने याचिका दायर करने वाले वकील से जानना चाहा कि क्या लखनऊ स्थित जेल को धरोहर इमारत घोषित किया गया है।
पीठ ने कहा जब आपने अपनी याचिका में यह नहीं बताया है कि जेल को क्या धरोहर इमारत घोषित किया गया है तो हम कुछ नहीं कर सकते हैं। उच्चतम न्यायालय ने मुद्दा उठाने वाले वकील से पूछा कि वह जेल से जुड़े मुद्दे से इतने चिंतित क्यों हैं।
उच्चतम न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति के जी बालाकृष्णन तथा न्यायमूर्ति पी सदाशिवम की पीठ ने कहा अगर इसे धरोहर इमारत घोषित नहीं किया गया है तो हम ऐसा आदेश नहीं दे सकते हैं कि इसे नहीं तोड़ा जाए। उच्चतम न्यायालय में एक वकील संगम लाल पांडे की याचिका पर सुनवाई चल रही थी जिन्होंने कथित धरोहर के निर्माण के उद्देश्य से वर्तमान जेल को तोड़ने के प्रशासन के निर्णय पर प्रश्न खड़ा किया था।
बहरहाल, पीठ ने याचिका दायर करने वाले वकील से जानना चाहा कि क्या लखनऊ स्थित जेल को धरोहर इमारत घोषित किया गया है।
पीठ ने कहा जब आपने अपनी याचिका में यह नहीं बताया है कि जेल को क्या धरोहर इमारत घोषित किया गया है तो हम कुछ नहीं कर सकते हैं। उच्चतम न्यायालय ने मुद्दा उठाने वाले वकील से पूछा कि वह जेल से जुड़े मुद्दे से इतने चिंतित क्यों हैं।
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