शिवानी भटनागर मर्डर केस में उम्रकैद की सजा काट रहे आर। के. शर्मा के उस लेटर पर दिल्लीहाई कोर्ट ने सरकार से रिपोर्ट मांगी है, जिसमें कहा गया है कि जेल में बंद कैदियों को उनके परिजनों से फोन पर बात करने की इजाजत होनी चाहिए। इससे उसकी मानसिक स्थिति पर विपरीत असर नहीं पड़ेगा। हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से कहा गया कि इससे फोन का गलत इस्तेमाल भी हो सकता है। बहरहाल, अदालत ने इस बाबत सरकार से विस्तार से बताने को कहा है। साथ ही एमिकस क्यूरी (कोर्ट की सहायता के लिए कोर्ट द्वारा नियुक्त वकील) नियुक्त कर उन्हें सुझाव देने को कहा है।
पिछले दिनों एक विजिटिंग जज ने जब तिहाड़ का दौरा किया था, तभी वहां बंद शर्मा ने उन्हें कहा कि जेल में फोन की व्यवस्था होनी चाहिए, ताकि कैदी अपने परिजनों से बात कर सकें। इस बारे में शर्मा ने हाई कोर्ट को एक लेटर भी लिखा था। कोर्ट ने इस पर संज्ञान लेते हुए सरकार से जवाब देने को कहा था। सरकार की ओर से कहा गया कि यह सुविधा नहीं दी जा सकती क्योंकि इसका दुरुपयोग होने का भारी खतरा है और यह अंदेशा है कि इसका गलत इस्तेमाल होगा। भारत की किसी जेल में ऐसी व्यवस्था नहीं है। सरकार से जब पूछा गया कि विदेश में यह सुविधा है या नहीं, तो जवाब मिला कि इस बारे में उन्हें नहीं पता। हाई कोर्ट ने इस मामले में विस्तार से रिपोर्ट देने के लिए 7 अक्टूबर की तारीख तय की है।
पिछले दिनों एक विजिटिंग जज ने जब तिहाड़ का दौरा किया था, तभी वहां बंद शर्मा ने उन्हें कहा कि जेल में फोन की व्यवस्था होनी चाहिए, ताकि कैदी अपने परिजनों से बात कर सकें। इस बारे में शर्मा ने हाई कोर्ट को एक लेटर भी लिखा था। कोर्ट ने इस पर संज्ञान लेते हुए सरकार से जवाब देने को कहा था। सरकार की ओर से कहा गया कि यह सुविधा नहीं दी जा सकती क्योंकि इसका दुरुपयोग होने का भारी खतरा है और यह अंदेशा है कि इसका गलत इस्तेमाल होगा। भारत की किसी जेल में ऐसी व्यवस्था नहीं है। सरकार से जब पूछा गया कि विदेश में यह सुविधा है या नहीं, तो जवाब मिला कि इस बारे में उन्हें नहीं पता। हाई कोर्ट ने इस मामले में विस्तार से रिपोर्ट देने के लिए 7 अक्टूबर की तारीख तय की है।
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