पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Monday, August 31, 2009

जयपुर शहर में एक एडीएम, तीन एसडीएम के नये पद सृजित किये जाएगें।

जयपुर शहर में जल्द ही एडिशनल डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर (एडीएम) और तीन सब डिवीजनल मजिस्ट्रेट (एसडीएम) के नए पद और सृजित जा रहे हैं। जयपुर जिला कलेक्टर कुलदीप रांका की ओर से भेजे गए प्रस्ताव पर राज्य सरकार ने मंजूरी दे दी है, गृह विभाग से नोटिफिकेशन जारी होते ही ये चारों पद प्रभाव में आ जाएंगे। नए अफसर सिर्फ शहर की कानून व्यवस्था बनाए रखने का ही काम करेंगे। राज्य में पहली बार केवल कानून व्यवस्था के लिए एसडीएम अलग से लगाए जा रहे हैं। वर्तमान में जयपुर शहर की कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए एडीएम (उत्तर) व एडीएम (दक्षिण) हैं। दूसरी ओर पुलिस व्यवस्था के तहत तीन पुलिस अधीक्षक लगे हुए हैं। एडीएम का नया पद एडीएम (पूर्व) सृजित होगा।
एडीएम के सहयोगी के रूप में तीन एसडीएम भी लगाए जा रहे हैं। कलेक्टर ने बताया कि प्रशासन की ओर से भेजे गए प्रस्ताव को सरकार की मंजूरी मिल गई है। गृह विभाग के नोटिफिकेशन के साथ ही नए पद सृजित कर दिए जाएंगे। कानून व्यवस्था में लगाए जाने वाले अधिकारी एसडीएम ही कहलाएंगे। ये सीआरपीसी की धारा 107, 116,151, 176, 174, 144,145, 133 के तहत आने वाले कार्य को संभालेंगे। नए लगाए जाने वाले तीन एसडीएम व एक एडीएम राजस्व विभाग के अधीन होने के बजाय गृह विभाग के अधीन रहेंगे तथा इसके लिए नोटिफिकेशन भी गृह विभाग की ओर से ही निकाला जाएगा। नए लगाए जाने वाले एसडीएम का कार्य क्षेत्र भी गृह विभाग ही तय करेगा तथा इन पर कंट्रोल भी गृहविभाग का ही रहेगा।

राज्य के अन्य जिलों में भी कानून व्यवस्था के लिए नए पद सृजित हो सकते हैं। फिलहाल जयपुर के अलावा जोधपुर में सरकार ने एसडीएम (कानून व व्यवस्था) का एक पद सृजित किया गया है।

आए दिन जन आंदोलनों के चलते तथा पुलिस से बढ़ती झड़पों की वजह से कानून व्यवस्था की दिक्कत महसूस हो रही है। कानून व्यवस्था में लगे दो एडीएम भी व्यवस्था को नहीं संभाल पा रहे हैं, इससे उनके सहयोग के लिए अन्य कार्यपालक मजिस्ट्रेट लगाने पड़ते हैं।
फिलहाल शहर में पुलिस के 15 सर्किल ऑफिस व 46 थाने है, इसमें रोजाना करीब 500 से ज्यादा धारा 151 के तहत गिरफ्तार व्यक्ति एसडीएम के सामने पेश किए जाते हैं। इसके साथ ही सीआरपीसी की धारा 176 के केस में भी एसडीएम को जाना पड़ता है। शादी के सात साल के भीतर महिला की मौत हो जाने की स्थिति में पूरी जांच करनी पड़ती है। इससे राजस्व अदालतों का काम ठप हो जाता है तथा लोगों को कई सालों से फैसलों का इंतजार करना पड़ रहा है। हर एसडीओ को हर महीने 20 राजस्व मामलों का निपटारा करने का लक्ष्य दे रखा है, लेकिन कानून व्यवस्था में लगे होने से राजस्व मामले देख ही नहीं पाते हैं।

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