दिल्ली उच्च न्यायालय ने “विकलांग पेंशन योजना” के तहत एक सैन्यकर्मी के बीमा दावे का निपटारा करने का सेना को कल निर्देश दिया और साथ ही इस मामले में उदासीन रवैया अपनाने पर सेना पर 25 हजार रूपये का जुर्माना भी लगाया।
न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति सुदर्शन मिश्रा की एक खंडपीठ ने याचिकाकर्ता को अदालत आने को मजबूर करने के लिए बतौर जुर्माना 25 हजार रूपये देने का सेना प्रमुख को निर्देश दिया। न्यायालय ने कहा कि सैन्यकर्मी को बीमा दावे के निपटारे के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाना पडा।
न्यायालय ने यह आदेश श्री सिंघेश्वर सिंह की याचिका पर दिया। श्री सिंह को सेना में नौकरी के दौरान विकलांगता के कारण सेवानिवृत्त होना पडा था। याचिकाकर्ता ने कहा कि विकलांग होने के मामले में किसी व्यक्ति के लाभों के लिए नियम स्पष्ट है लेकिन सेना ने इसका पालन करने से इंकार कर दिया। इस की वजह से याचिकाकर्ता को न्याय पाने के लिए अदालत आना पडा।
न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति सुदर्शन मिश्रा की एक खंडपीठ ने याचिकाकर्ता को अदालत आने को मजबूर करने के लिए बतौर जुर्माना 25 हजार रूपये देने का सेना प्रमुख को निर्देश दिया। न्यायालय ने कहा कि सैन्यकर्मी को बीमा दावे के निपटारे के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाना पडा।
न्यायालय ने यह आदेश श्री सिंघेश्वर सिंह की याचिका पर दिया। श्री सिंह को सेना में नौकरी के दौरान विकलांगता के कारण सेवानिवृत्त होना पडा था। याचिकाकर्ता ने कहा कि विकलांग होने के मामले में किसी व्यक्ति के लाभों के लिए नियम स्पष्ट है लेकिन सेना ने इसका पालन करने से इंकार कर दिया। इस की वजह से याचिकाकर्ता को न्याय पाने के लिए अदालत आना पडा।
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