न्यायाधीशों की सम्पत्ति से सम्बंधित विधेयक राज्यसभा में पेश करने में विफल रहने के बावजूद सरकार संसद के अगले सत्र में न्यायाधीश जांच विधेयक लाने की योजना बना रही है। प्रस्तावित विधेयक में गलत आचरण की स्थिति में उच्च न्यायपालिका के सदस्यों के खिलाफ कदम उठाने से सम्बंधित प्रक्रिया का उल्लेख होगा।
कानून मंत्री एम. वीरप्पा मोइली ने सोमवार को कहा कि मौजूदा न्यायाधीश जांच कानून, 1968 में सिर्फ महाभियोग प्रक्रिया का जिक्र है। अगर कोई शिकायत की जाती है तो सरकार कुछ नहीं कर सकती क्योंकि इसमें शिकायतों की जांच का कोई प्रावधान नहीं है।
उन्होंने कहा कि नए विधेयक से न्यायपालिका में जवाबदेही बढ़ेगी क्योंकि शिकायतों की जांच के लिए कानून होगा। हालांकि उन्होंने स्पष्ट किया कि सरकार का इरादा न्यायपालिका पर अपनी मर्जी चलाने का नहीं है। नए विधेयक को तैयार करने में न्यायपालिका का सहयोग भी लिया जाएगा।
मोइली से जब पूछा गया कि क्या न्यायाधीश सम्पत्ति विधेयक अब संसद के अगले सत्र में पेश किया जाएगा, तो उन्होंने जवाब हां में दिया। उल्लेखनीय है कि विपक्ष के विरोध के कारण सरकार संसद के बीते सत्र में न्यायाधीश सम्पत्ति विधेयक पेश नहीं कर सकी थी।
कानून मंत्री एम. वीरप्पा मोइली ने सोमवार को कहा कि मौजूदा न्यायाधीश जांच कानून, 1968 में सिर्फ महाभियोग प्रक्रिया का जिक्र है। अगर कोई शिकायत की जाती है तो सरकार कुछ नहीं कर सकती क्योंकि इसमें शिकायतों की जांच का कोई प्रावधान नहीं है।
उन्होंने कहा कि नए विधेयक से न्यायपालिका में जवाबदेही बढ़ेगी क्योंकि शिकायतों की जांच के लिए कानून होगा। हालांकि उन्होंने स्पष्ट किया कि सरकार का इरादा न्यायपालिका पर अपनी मर्जी चलाने का नहीं है। नए विधेयक को तैयार करने में न्यायपालिका का सहयोग भी लिया जाएगा।
मोइली से जब पूछा गया कि क्या न्यायाधीश सम्पत्ति विधेयक अब संसद के अगले सत्र में पेश किया जाएगा, तो उन्होंने जवाब हां में दिया। उल्लेखनीय है कि विपक्ष के विरोध के कारण सरकार संसद के बीते सत्र में न्यायाधीश सम्पत्ति विधेयक पेश नहीं कर सकी थी।
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