पढ़ाई और जीवन में क्या अंतर है? स्कूल में आप को पाठ सिखाते हैं और फिर परीक्षा लेते हैं. जीवन में पहले परीक्षा होती है और फिर सबक सिखने को मिलता है. - टॉम बोडेट

Wednesday, August 5, 2009

मां को पिटते नहीं देख पाया और पिता को मार डाला।


जयपुर. पिता ने मां को पीटा तो गुस्से में युवक ने पिता पर सरिए से ताबड़तोड़ 50 से अधिक वार किए, जिससे मौके पर ही उसकी मौत हो गई। बाद में आरोपी ने खुद पुलिस को सूचना दी। श्याम एनक्लेव निवासी आरोपी सत्येंद्र सिंह का पिता विष्णु सिंह हाथोज में कृषि विभाग में ग्राम सेवक था। दहेज उत्पीड़न के केस में सोमवार को उसे नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया। 

ऑफिस से लौट कर रात 12.30 बजे वह पत्नी केसर कंवर, बेटे सत्येंद्र व बेटी ममता से गाली-गलौच करने लगा। पत्नी समझाने गई तो विष्णु उसे पीटने लगा। इस पर सत्येंद्र रसोई में रखे लोहे के सरिए से पिता को मारने लगा। बीच-बचाव में आई मां व बहन को भी उसने कमरे में बंद कर दिया। पिता के दम तोड़ने पर उसने एंबुलेंस व पुलिस को खुद ही सूचना दी। 

आरोपी सत्येंद्र का कहना है कि उसे कोई पछतावा नहीं है। उसे सिर्फ अपनी मां और बहन की चिंता है। बहन ममता ने कहा कि उसका भाई निर्दोष है। उसके पिता रोजाना उनसे मारपीट करते थे। उन्हें नानी के यहां रहना पड़ता था। 


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