राजस्थान उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर पूछा है कि गैर अनुदानित निजी स्कूलों की फीस बढ़ोतरी की सीमा किस आधार पर तय की।
मुख्य न्यायाधीश जगदीश भल्ला व न्यायाधीश मनीष भण्डारी की खण्डपीठ ने सोसायटी फॉर अनएडेड प्राईवेट स्कूल्स ऑफ राजस्थान व अन्य की याचिकाओं पर बुधवार को प्राथमिक सुनवाई के बाद नोटिस जारी किया। प्रार्थीपक्ष की ओर से अधिवक्ता ने न्यायालय को बताया कि राज्य सरकार ने जून 09 में निजी स्कूलों को शिक्षा सत्र 2007-08 से 2009-10 के बीच अधिकतम 27.5 से 32.5 प्रतिशत तक ही फीस बढ़ोतरी की छूट दी।
प्रार्थीपक्ष ने आदेश को चुनौती देते हुए कहा कि उच्चतम न्यायालय गैर अनुदानित निजी शिक्षण संस्थाओं की फीस से सम्बन्घित विभिन्न मामलों में स्कूल को व्यवसाय की श्रेणी में मान चुका है। न्यायालय ने इस मामले में मुख्य सचिव व प्रमुख शिक्षा सचिव के जरिए राज्य सरकार से जवाब तलब किया है।
मुख्य न्यायाधीश जगदीश भल्ला व न्यायाधीश मनीष भण्डारी की खण्डपीठ ने सोसायटी फॉर अनएडेड प्राईवेट स्कूल्स ऑफ राजस्थान व अन्य की याचिकाओं पर बुधवार को प्राथमिक सुनवाई के बाद नोटिस जारी किया। प्रार्थीपक्ष की ओर से अधिवक्ता ने न्यायालय को बताया कि राज्य सरकार ने जून 09 में निजी स्कूलों को शिक्षा सत्र 2007-08 से 2009-10 के बीच अधिकतम 27.5 से 32.5 प्रतिशत तक ही फीस बढ़ोतरी की छूट दी।
प्रार्थीपक्ष ने आदेश को चुनौती देते हुए कहा कि उच्चतम न्यायालय गैर अनुदानित निजी शिक्षण संस्थाओं की फीस से सम्बन्घित विभिन्न मामलों में स्कूल को व्यवसाय की श्रेणी में मान चुका है। न्यायालय ने इस मामले में मुख्य सचिव व प्रमुख शिक्षा सचिव के जरिए राज्य सरकार से जवाब तलब किया है।
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