राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष बूटा सिंह ने सीबीआई के नोटिस को चुनौती देने के लिए दिल्ली हाई कोर्ट की शरण ली जिसने अपने पुत्र के खिलाफ कथित रिश्वत मामले में उन्हें गवाह के तौर पर पेश होने का आदेश दिया था। बूटा सिंह की याचिका पर संभवत: बुधवार को सुनवाई होगी।
उन्होंने सीबीआई द्वारा स्वयं को सौंपे उस नोटिस को खारिज करने की मांग की है जिसमें उन्हें अपने पुत्र सरबजीत सिंह के खिलाफ कथित रिश्वत मामले में गवाह के तौर पर पेश होने के लिए कहा गया है। बूटा सिंह ने अपनी याचिका में तर्क दिया है कि वह कैबिनेट मंत्री पद के बराबर के पद पर हैं और जांच एजेंसी सरकार से मंजूरी लिए बिना उनसे सवाल जवाब नहीं कर सकती। बूटा ने अपनी याचिका में कहा, कि सीबीआई द्वारा नोटिस जारी करना दिल्ली विशेष पुलिस प्रतिष्ठान अधिनियम का उल्लंघन है जिसके अनुसार उप सचिव के पद से उपर के लोक सेवक से पूछताछ के लिए सरकारी मंजूरी आवश्यक है। उन्होंने यह भी कहा कि सीबीआई ने अपने नोटिस में यह स्पष्ट नहीं किया है कि उन्हें इस मामले में गवाह के तौर पर पेश होने के लिए कहा गया है या आरोपी के तौर पर।
बूटा सिंह के पुत्र को सीबीआई ने 31 जुलाई को कथित तौर पर नासिक के एक ठेकेदार से एक करोड़ रुपये की रिश्वत मांगने के आरोप में गिरफ्तार किया था।
उन्होंने सीबीआई द्वारा स्वयं को सौंपे उस नोटिस को खारिज करने की मांग की है जिसमें उन्हें अपने पुत्र सरबजीत सिंह के खिलाफ कथित रिश्वत मामले में गवाह के तौर पर पेश होने के लिए कहा गया है। बूटा सिंह ने अपनी याचिका में तर्क दिया है कि वह कैबिनेट मंत्री पद के बराबर के पद पर हैं और जांच एजेंसी सरकार से मंजूरी लिए बिना उनसे सवाल जवाब नहीं कर सकती। बूटा ने अपनी याचिका में कहा, कि सीबीआई द्वारा नोटिस जारी करना दिल्ली विशेष पुलिस प्रतिष्ठान अधिनियम का उल्लंघन है जिसके अनुसार उप सचिव के पद से उपर के लोक सेवक से पूछताछ के लिए सरकारी मंजूरी आवश्यक है। उन्होंने यह भी कहा कि सीबीआई ने अपने नोटिस में यह स्पष्ट नहीं किया है कि उन्हें इस मामले में गवाह के तौर पर पेश होने के लिए कहा गया है या आरोपी के तौर पर।
बूटा सिंह के पुत्र को सीबीआई ने 31 जुलाई को कथित तौर पर नासिक के एक ठेकेदार से एक करोड़ रुपये की रिश्वत मांगने के आरोप में गिरफ्तार किया था।
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