सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि डॉक्टरों का यह कर्तव्य है कि वे उनके द्वारा बताई गई दवा विशेष के प्रतिकूल प्रभावो
(साइड इफेक्ट)के बारे में मरीजों को सूचित करें नहीं तो चिकित्सकीय उपेक्षा हो सकती है।
जस्टिस एस. बी. सिन्हा और जस्टिस दीपक वर्मा की बेंच ने कहा कि चिकित्सकीय उपेक्षा पर बने कानून को इलाज और बीमारी का पता लगाने के क्षेत्र में चिकित्सकीय विज्ञान में हो रही प्रगति के समरूप करना होगा। चिकित्सकों को इलाज के दौरान और विशेषकर तब मरीजों के साथ संवाद रखना चाहिए जब दवा विवादित हो या उसमें जोखिम शामिल हो।
बेंच ने कहा, मामलों में देखभाल के पैमाने में गंभीर प्रतिकूल प्रभाव के खतरों अथवा वैकल्पिक इलाज के बारे में मरीज के सामने खुलासा करने का कर्तव्य शामिल है। बेंच ने अमेरिका की रहने वाली 36 साल की महिला चिकित्सक की मई 1998 में हुई मौत के मामले में उपेक्षा के लिए कोलकाता के प्रमुख अस्पताल मेडिकेयर रिसर्च इंस्टीट्यूट और चार चिकित्सकों को दोषी ठहराते हुए यह बात कही।
(साइड इफेक्ट)के बारे में मरीजों को सूचित करें नहीं तो चिकित्सकीय उपेक्षा हो सकती है।
जस्टिस एस. बी. सिन्हा और जस्टिस दीपक वर्मा की बेंच ने कहा कि चिकित्सकीय उपेक्षा पर बने कानून को इलाज और बीमारी का पता लगाने के क्षेत्र में चिकित्सकीय विज्ञान में हो रही प्रगति के समरूप करना होगा। चिकित्सकों को इलाज के दौरान और विशेषकर तब मरीजों के साथ संवाद रखना चाहिए जब दवा विवादित हो या उसमें जोखिम शामिल हो।
बेंच ने कहा, मामलों में देखभाल के पैमाने में गंभीर प्रतिकूल प्रभाव के खतरों अथवा वैकल्पिक इलाज के बारे में मरीज के सामने खुलासा करने का कर्तव्य शामिल है। बेंच ने अमेरिका की रहने वाली 36 साल की महिला चिकित्सक की मई 1998 में हुई मौत के मामले में उपेक्षा के लिए कोलकाता के प्रमुख अस्पताल मेडिकेयर रिसर्च इंस्टीट्यूट और चार चिकित्सकों को दोषी ठहराते हुए यह बात कही।
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