कानून मंत्री एम वीरप्पा मोइली ने आज कहा कि मध्यस्थता में विलंब के मद्देनजर केंद्र सरकार मध्यस्थता और मेलमिलाप विधेयक 1968 में संशोधन करने पर विचार कर रही है।
मोइली ने कहा कि मध्यस्थता में देरी के कारण सरकार मौजूदा कानून में संशोधन पर विचार कर रही है। उन्होंने कहा कि देर के कारणों पर विचार के लिए एक समिति भी गठित की जा रही है।
वैकल्पिक विवाद समाधान प्रकोष्ठ (एडीआर) का उद्घाटन करने के बाद मोइली ने मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि इस प्रकोष्ठ का मकसद मुकदमेबाजी को खत्म करना नहीं बल्कि अदालतों में लगने वाले समय में कमी लाना है।
उन्होंने कहा कि यह न सिर्फ किफायती है बल्कि इसमें समय भी कम लगेगा और इसमें शिकायतकर्ता तथा प्रतिवादी को फायदा होगा क्योंकि इसमें शिकायतों का हल मेलमिलाप से होगा। मोइली ने कहा कि उच्चतम न्यायालय में इस साल 30 जून तक 52592 मामले लंबित थे वहीं दिसंबर 2007 तक इलाहाबाद उच्च न्यायालय में 71680 तथा कोलकाता उच्च न्यायालय में 49417 मामले लंबित थे।
मंत्री ने कहा कि एडीआर वक्त की मांग है। उन्होंने कहा कि एडीआर को आंदोलन का रूप देने की आवश्कता है। इसके लिए कानूनी साक्षरता की जरूरत है।
मोइली ने कहा कि मध्यस्थता में देरी के कारण सरकार मौजूदा कानून में संशोधन पर विचार कर रही है। उन्होंने कहा कि देर के कारणों पर विचार के लिए एक समिति भी गठित की जा रही है।
वैकल्पिक विवाद समाधान प्रकोष्ठ (एडीआर) का उद्घाटन करने के बाद मोइली ने मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि इस प्रकोष्ठ का मकसद मुकदमेबाजी को खत्म करना नहीं बल्कि अदालतों में लगने वाले समय में कमी लाना है।
उन्होंने कहा कि यह न सिर्फ किफायती है बल्कि इसमें समय भी कम लगेगा और इसमें शिकायतकर्ता तथा प्रतिवादी को फायदा होगा क्योंकि इसमें शिकायतों का हल मेलमिलाप से होगा। मोइली ने कहा कि उच्चतम न्यायालय में इस साल 30 जून तक 52592 मामले लंबित थे वहीं दिसंबर 2007 तक इलाहाबाद उच्च न्यायालय में 71680 तथा कोलकाता उच्च न्यायालय में 49417 मामले लंबित थे।
मंत्री ने कहा कि एडीआर वक्त की मांग है। उन्होंने कहा कि एडीआर को आंदोलन का रूप देने की आवश्कता है। इसके लिए कानूनी साक्षरता की जरूरत है।
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