
सर्वोच्च न्यायालय ने पिछले दिनों अपने अपने आदेश में कहा था कि झा या तो नेपाली में अपने पद की शपथ लें अथवा बर्खास्तगी का सामना करें। सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने से पहले झा ने दबाव में आकर नेपाली में शपथ लेने से इंकार कर दिया था। झा के सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने से पहले अटकलों का दौर जारी था कि एक बार और शपथ लेने के अपमान से बचने के लिए झा अपने पद से इस्तीफा दे सकते हैं।
झा के कानूनी सलाहकार मिथिलेश सिंह ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के विवादास्पद फैसले की पांच न्यायाधीशों की पूर्ण पीठ समीक्षा करेगी। इसका मतलब यह हुआ नेपाल में हिंदी विवाद अभी कुछ दिन और चलेगा। यह विवाद पिछले वर्ष तब शुरू हुआ था जब नेपाल गणराज्य बना था और झा उपराष्ट्रपति चुने गए थे।
काठमांडू के एक वकील बालकृष्ण नेपाने ने एक याचिका दाखिल कर परमानंद झा के हिंदी में शपथ लेने को असंवैधानिक कहा था। भारत की सीमा से लगे नेपाल के तराई क्षेत्र में हिंदी भाषा बोली जाती है।
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