राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (एनएचआरसी) की जांच पर पूरा भरोसा जताते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय ने पिछले साल दिल्ली में हुई बाटला हाउस मुठभेड़ मामले में बुधवार को किसी भी तरह की अन्य जांच का आदेश देने से इंकार कर दिया।
बाटला हाउस मुठभेड़ के दौरान एक इंस्पेक्टर शहीद हो गया था और दो संदिग्ध आतंकवादी मारे गए थे। मुख्य न्यायाधीश अजीत प्रकाश शाह और न्यायाधीश मनमोहन की खंडपीठ ने 19 सितम्बर 2008 को हुई मुठभेड़ की एक विशेष जांच दल से न्यायिक जांच की मांग करने वाली याचिका को खारिज कर दिया।
दक्षिण दिल्ली के जामिया नगर इलाके में हुई इस मुठभेड़ की जांच के लिए 'एक्ट नाउ फॉर हारमोनी एंड डेमोक्रेसी' (अनहद) नामक मानवाधिकार संगठन ने याचिका दायर की थी। अपने विस्तृत आदेश में पीठ ने कहा कि एनएचआरसी एक संवैधानिक संस्था है और इस मामले में उसकी जांच संतोषप्रद है। मामले को जांच के लिए किसी तीसरे पक्ष के पास भेजना हमारे लिए बहुत कठिन है। न्यायालय ने कहा कि एनएचआरसी की प्रतिष्ठा और गरिमा कायम रहनी चाहिए और इस समय जांच किसी अन्य एजेंसी के हवाले करने की सलाह नहीं दी जा सकती।
बाटला हाउस मुठभेड़ के दौरान एक इंस्पेक्टर शहीद हो गया था और दो संदिग्ध आतंकवादी मारे गए थे। मुख्य न्यायाधीश अजीत प्रकाश शाह और न्यायाधीश मनमोहन की खंडपीठ ने 19 सितम्बर 2008 को हुई मुठभेड़ की एक विशेष जांच दल से न्यायिक जांच की मांग करने वाली याचिका को खारिज कर दिया।
दक्षिण दिल्ली के जामिया नगर इलाके में हुई इस मुठभेड़ की जांच के लिए 'एक्ट नाउ फॉर हारमोनी एंड डेमोक्रेसी' (अनहद) नामक मानवाधिकार संगठन ने याचिका दायर की थी। अपने विस्तृत आदेश में पीठ ने कहा कि एनएचआरसी एक संवैधानिक संस्था है और इस मामले में उसकी जांच संतोषप्रद है। मामले को जांच के लिए किसी तीसरे पक्ष के पास भेजना हमारे लिए बहुत कठिन है। न्यायालय ने कहा कि एनएचआरसी की प्रतिष्ठा और गरिमा कायम रहनी चाहिए और इस समय जांच किसी अन्य एजेंसी के हवाले करने की सलाह नहीं दी जा सकती।
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