उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि पति और उसके रिश्तेदारों के खिलाफ महज इस आधार पर मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है क्योंकि उसकी सास या अन्य किसी रिश्तेदार ने उसे धक्का दिया हो या तलाक की धमकी दी हो।
उच्चतम न्यायालय में न्यायमूर्ति एस बी सिन्हा तथा न्यायमूर्ति साइरैक जोसेफ की पीठ ने कहा कि अगर कोई सास अपनी पुत्र बधु को लगातार उपदेश देती हो अथवा अपने प्रयोग में लाये गए फटे पुराने कपड़े पहनने को देती हो तो ऐसे मामलों में भारतीय दंड संहिता की धारा 498ए के तहत मामला नहीं चलाया जा सकता है।
बहरहाल, अगर सास शादी के समय उपहार स्वरूप दी गई वस्तुओं को वापस ले लेती है तो इसे ‘विश्वास भंग' का मामला माना जायेगा और यह मामले आईपीसी की धारा 406 के तहत आयेगा।
उच्चतम न्यायालय ने दक्षिण अफ्रीका स्थित अप्रवासी भारतीय पति और उसके ससुराल पक्ष के बीच वैवाहिक विवाद मामले की सुनवाई के दौरान यह बातें कही।
उच्चतम न्यायालय में न्यायमूर्ति एस बी सिन्हा तथा न्यायमूर्ति साइरैक जोसेफ की पीठ ने कहा कि अगर कोई सास अपनी पुत्र बधु को लगातार उपदेश देती हो अथवा अपने प्रयोग में लाये गए फटे पुराने कपड़े पहनने को देती हो तो ऐसे मामलों में भारतीय दंड संहिता की धारा 498ए के तहत मामला नहीं चलाया जा सकता है।
बहरहाल, अगर सास शादी के समय उपहार स्वरूप दी गई वस्तुओं को वापस ले लेती है तो इसे ‘विश्वास भंग' का मामला माना जायेगा और यह मामले आईपीसी की धारा 406 के तहत आयेगा।
उच्चतम न्यायालय ने दक्षिण अफ्रीका स्थित अप्रवासी भारतीय पति और उसके ससुराल पक्ष के बीच वैवाहिक विवाद मामले की सुनवाई के दौरान यह बातें कही।
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