सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि आपराधिक पृष्ठभूमि वाले व्यक्ति की गवाही भी मानी जा सकती है। जस्टिस वीएस सिरपुरकर तथा सी जोसेफ की बेंच ने अपने ताजा फैसले में यह कहा है।
जजों ने एक फैसले में कहा कि गवाही में आपराधिक पृष्ठभूमि का कोई ज्यादा असर नहीं हो सकता। हालांकि ऐसी गवाही पर गौर करते समय गवाह की आपराधिक पृष्ठभूमि को भी ध्यान में रखना चाहिए।
शीर्ष कोर्ट ने ये टिप्पणियां मुरली और हीरा की अपील खारिज करते हुए कीं। इन दोनों ने सेशन कोर्ट द्वारा उन्हें दी गई उम्रकैद की सजा को राजस्थान हाईकोर्ट द्वारा बरकरार रखने को चुनौती दी थी। उन्हें वीरेंद्र सिंह की 1987 में हुई हत्या के मामले में दोषी ठहराया गया था।
मुजरिमों के वकील का कहना था क उसके मुवक्किलों का अभियोजन इसलिए अवैध है, क्योंकि वह बद्रीलाल की गवाही पर आधारित है। बद्रीलाल खुद भी कई फौजदारी मामलों का सामना कर रहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने ये तर्क दस्तावेज देखने, परिस्थितिजन्य साक्ष्यों पर विचार करने और बद्रीलाल व कुछ अन्य चश्मदीद गवाहों की गवाहियों के मद्देनजर स्वीकार नहीं किए।
जजों ने एक फैसले में कहा कि गवाही में आपराधिक पृष्ठभूमि का कोई ज्यादा असर नहीं हो सकता। हालांकि ऐसी गवाही पर गौर करते समय गवाह की आपराधिक पृष्ठभूमि को भी ध्यान में रखना चाहिए।
शीर्ष कोर्ट ने ये टिप्पणियां मुरली और हीरा की अपील खारिज करते हुए कीं। इन दोनों ने सेशन कोर्ट द्वारा उन्हें दी गई उम्रकैद की सजा को राजस्थान हाईकोर्ट द्वारा बरकरार रखने को चुनौती दी थी। उन्हें वीरेंद्र सिंह की 1987 में हुई हत्या के मामले में दोषी ठहराया गया था।
मुजरिमों के वकील का कहना था क उसके मुवक्किलों का अभियोजन इसलिए अवैध है, क्योंकि वह बद्रीलाल की गवाही पर आधारित है। बद्रीलाल खुद भी कई फौजदारी मामलों का सामना कर रहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने ये तर्क दस्तावेज देखने, परिस्थितिजन्य साक्ष्यों पर विचार करने और बद्रीलाल व कुछ अन्य चश्मदीद गवाहों की गवाहियों के मद्देनजर स्वीकार नहीं किए।
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