तलाक दिए बगैर दूसरी महिला से विवाह करने के बारे में सोचना भर भी किसी हिंदू व्यक्ति के लिए पत्नी के प्रति क्रूरता बरतने का सबसे खराब प्रकार है। दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने एक ताजा फैसले में यह टिप्पणी की है। डॉ. सुमन नरुला ने विवाह के 15 महीनों के भीतर ही नवंबर 1987 में आत्महत्या कर ली थी। निचली अदालत में चली लंबी कानूनी लड़ाई के बाद पति राजीव और उसकी मां सुनीता को 1997 में सुमन को आत्महत्या के लिए उकसाने तथा उसके प्रति क्रूरता बरतने का दोषी ठहराया गया। मां-बेटे ने निचली अदालत के इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी।
इस मामले में राजीव व सुनीता पहले ही क्रमश: एक साल और छह महीनों की कैद भुगत चुके थे। यह मामला 22 साल पुराना हो गया था। ऐसे में हाईकोर्ट ने उन्हें जमानत दे दी। साथ ही हाईकोर्ट ने सुनीता को आत्महत्या के लिए उकसावे के आरोपों से बरी कर दिया, लेकिन उसे क्रूरता बरतने का दोषी ठहराया। कोर्ट ने राजीव पर दो लाख रुपए जुर्माना भी किया, जिसका आधा हिस्सा सुमन के माता-पिता को मिलेगा।
हाईकोर्ट के सामने सुमन का वह पत्र रखा गया, जिसमें उसने आत्महत्या जैसा चरम कदम उठाने के कारणों का खुलासा किया था। जस्टिस एमसी गर्ग ने कहा, ‘पत्र से पता चलता है कि पीड़ित को उकसावा देने का काम राजीव ने किया, क्योंकि वह उसके साथ रहना नहीं चाहता था तथा वास्तव में दूसरी शादी के चक्कर में था जो कि हिंदुओं में पहली पत्नी के मौजूद रहते हुए क्रूरता का सबसे दुखद प्रकार है। इससे संभवत: सुमन का रहा-सहा धीरज भी टूट गया और वह आत्महत्या करने को विवश हुई।’
इस मामले में राजीव व सुनीता पहले ही क्रमश: एक साल और छह महीनों की कैद भुगत चुके थे। यह मामला 22 साल पुराना हो गया था। ऐसे में हाईकोर्ट ने उन्हें जमानत दे दी। साथ ही हाईकोर्ट ने सुनीता को आत्महत्या के लिए उकसावे के आरोपों से बरी कर दिया, लेकिन उसे क्रूरता बरतने का दोषी ठहराया। कोर्ट ने राजीव पर दो लाख रुपए जुर्माना भी किया, जिसका आधा हिस्सा सुमन के माता-पिता को मिलेगा।
हाईकोर्ट के सामने सुमन का वह पत्र रखा गया, जिसमें उसने आत्महत्या जैसा चरम कदम उठाने के कारणों का खुलासा किया था। जस्टिस एमसी गर्ग ने कहा, ‘पत्र से पता चलता है कि पीड़ित को उकसावा देने का काम राजीव ने किया, क्योंकि वह उसके साथ रहना नहीं चाहता था तथा वास्तव में दूसरी शादी के चक्कर में था जो कि हिंदुओं में पहली पत्नी के मौजूद रहते हुए क्रूरता का सबसे दुखद प्रकार है। इससे संभवत: सुमन का रहा-सहा धीरज भी टूट गया और वह आत्महत्या करने को विवश हुई।’
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