जजों की संपत्ति की घोषणा किए जाने के चौतरफा दबाव के बीच सुप्रीम कोर्ट के सभी जज अपनी संपत्तियों का ब्योरा देने को सहमत हो गए हैं। शीर्ष अदालत एक सूत्र ने बताया कि मुख्य न्यायाधीश केजी बालाकृष्णन की अध्यक्षता में दो घंटे तक चली बैठक के बाद जजों ने अपनी संपत्ति सार्वजनिक करने के सैद्धांतिक फैसले पर मुहर लगा दी। वे अपनी संपत्ति की घोषणा सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर जल्द ही कर देंगे।
भारत सरकार के पूर्व अटॉर्नी जरनल सोली सोराबजी और वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने इस फैसले का स्वागत किया है। सोली सोराबजी कहते हैं कि न्यायपालिका में इतना भ्रष्टाचार नहीं हैं कि उसे छुपाने की ज़रूरत पड़े लेकिन हां, न्यायपालिका के बारे में कुछ अविश्वास ज़रूर हैं।दरअसल कुछ महीनों में ही भारत में ये मांग उठी है कि अगर चुनाव के समय नेता अपनी संपत्ति का ब्यौरा दे सकते हैं तो जजों को ऐसा करना चाहिए। सरकार ने इस बारे में कानून बनाने से इनकार करते हुए गेंद जजों के ही पाले में डाल दी और कहा कि इसका फ़ैसला जज ख़ुद करें।
सूत्रों ने बताया कि कानून के रूप में स्वीकृत यह फैसला सभी जजों के दस्तखत के बाद ही लागू हो गया है। उधर केंद्रीय कानून मंत्री एम. वीरप्पा मोइली ने बुधवार को संपत्ति घोषणा मामले में मुख्य न्यायाधीश केजी बालाकृष्णन के रुख पर सहमति जताई और कहा कि यदि जज स्वैच्छिक रूप से अपनी संपत्ति घोषित करना और हीरो बनना चाहते हैं तो यह उनकी सदिच्छा है। इससे पहले पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के जज के. कन्नन तथा कर्नाटक हाईकोर्ट के जज शलेंद्र कुमार ने अपनी संपत्ति की घोषणा की थी। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट के जजों पर भी नैतिक दबाव बढ़ गया था। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बालाकृष्णन जजों द्वारा संपत्ति घोषित किए जाने की मांग ठुकरा चुके थे। कर्नाटक हाईकोर्ट के जज शैलेंद्र कुमार ने एक अखबार में लिखा था कि चीफ जस्टिस को शीर्ष अदालत के सभी जजों की ओर से बोलने का कोई अधिकार नहीं है। इस पर रविवार को मुख्य न्यायाधीश ने उन्हें पब्लिसिटी क्रेजी बताया था।
सूत्रों ने बताया कि कानून के रूप में स्वीकृत यह फैसला सभी जजों के दस्तखत के बाद ही लागू हो गया है। उधर केंद्रीय कानून मंत्री एम. वीरप्पा मोइली ने बुधवार को संपत्ति घोषणा मामले में मुख्य न्यायाधीश केजी बालाकृष्णन के रुख पर सहमति जताई और कहा कि यदि जज स्वैच्छिक रूप से अपनी संपत्ति घोषित करना और हीरो बनना चाहते हैं तो यह उनकी सदिच्छा है। इससे पहले पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के जज के. कन्नन तथा कर्नाटक हाईकोर्ट के जज शलेंद्र कुमार ने अपनी संपत्ति की घोषणा की थी। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट के जजों पर भी नैतिक दबाव बढ़ गया था। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बालाकृष्णन जजों द्वारा संपत्ति घोषित किए जाने की मांग ठुकरा चुके थे। कर्नाटक हाईकोर्ट के जज शैलेंद्र कुमार ने एक अखबार में लिखा था कि चीफ जस्टिस को शीर्ष अदालत के सभी जजों की ओर से बोलने का कोई अधिकार नहीं है। इस पर रविवार को मुख्य न्यायाधीश ने उन्हें पब्लिसिटी क्रेजी बताया था।
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