मुंबई में एक वहशी ने एक मादा श्वान को अपनी हवस का शिकार बना लिया। यह मनुष्य की दरिंदगी का कोई पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी मनुष्य द्वारा जानवरों को अपनी वासना का शिकार बनाने के मामले सामने आ चुके हैं। लेकिन यह मामला अपने आप में ऐतिहासिक है। बीते शनिवार की रात को महेश कामथ नामक एक टैक्सी ड्राइवर ने मादा श्वान के साथ बलात्कार किया। जब मामला त्रिदेव पुलिस स्टेशन पहुंचा तो मुंबई पुलिस यह नहीं समझ पाई कि आखिर ड्राइवर पर क्या मामला बनाया जाए और किन धाराओं के तहत उसे आरोपी बनाया जाए। बाद में भारतीय दंड संहिता की धारा ३७७(अप्राकृतिक एंव जबरदस्ती यौन संबंध) एंव पशुओं के प्रति क्रूरता रोकथाम अधिनियम की धारा १२ के तहत मामला दर्ज किया गया। इसके बाद पुलिस ने आरोपी ड्राइवर को गिरफ्तार कर २ सितंबर तक रिमांड पर ले लिया है। यह भारतीय कानून के इतिहास में पहली बार होगा जब जानवरों के प्रति क्रूरता को मनुष्य के प्रति क्रूरता के समान मानकर कोर्ट में मामला चलाया जाएगा। संभवत: यह पहली बार होगा जब भारतीय दंड संहिता की धारा ३७७ को अप्राकृतिक एंव जबरदस्ती यौन संबंध (मर्जी से अप्राकृतिक संबंधों को छोड़कर) बनाने वाले आरोपी पर लगाया जाएगा।
अभियोजन पक्ष द्वारा अभी तक किए जा रहे प्रयास
१ - आरोपी के वीर्य को लेकर टेस्ट के लिए प्रयोगशाला भेजा गया।
२ - आरोपी के नाखूनों से पीड़ित कुतिया के बाल संकलित किए गए।
३ - प्रयोगशाला ले जाकर कुतिया के जननांगों पर घाव की पुष्टि कराई गई।
मामले में अहम सबूत
१ - प्रत्यक्षदर्शियों के बयान
२ - पीड़ित मादा श्वान एंव बलात्कारी की मेडिकल रिपोर्ट
कानूनी उलझनें
बलात्कार के मामले में पीड़ित का बयान सबसे अहम होता है लेकिन इस मामले में यह स्वाभाविक है कि पीड़ित मादा श्वान अपना बयान दर्ज नहीं करा पाएगी। कानून विदों का मानना है कि ऐसी स्थिति में पीड़ित को न्याय दिलाने के लिए प्रत्यक्षदर्शियों के बयान अहम होंगे। अभी तक ऐसा मामला न तो भारतीय कानून व्यवस्था के सामने आया है और न ही ऐसा कोई उदाहरण है। ऐसे में पीड़िता को न्याय दिलाना अभियोजन पक्ष के लिए एक बड़ी चुनौती होगी। पीड़िता व आरोपी की चिकित्सा रिपोर्ट पूरे मामले में सबसे अहम साबित होगी।
अपने आप में यह अनोखा मामला न्याय व्यवस्था के सामने एक बड़ी चुनौती है। ऐसा भी हो सकता है कि पीड़िता को न्याय दिलाने के लिए भारतीय कानून की कुछ धाराओं में संशोधन भी करना पड़े। पुलिस एंव अभियोजन पक्ष के अभी तक के प्रयास सराहनीय है। यदि इस मामले में पीड़ित को न्याय मिलता है तो यह लोगों के मन में न्याय व्यस्था के प्रति विश्वास को और पुख्ता कर देगा और भारतीय कानून के लिए भी ऐतिहासिक होगा।
अभियोजन पक्ष द्वारा अभी तक किए जा रहे प्रयास
१ - आरोपी के वीर्य को लेकर टेस्ट के लिए प्रयोगशाला भेजा गया।
२ - आरोपी के नाखूनों से पीड़ित कुतिया के बाल संकलित किए गए।
३ - प्रयोगशाला ले जाकर कुतिया के जननांगों पर घाव की पुष्टि कराई गई।
मामले में अहम सबूत
१ - प्रत्यक्षदर्शियों के बयान
२ - पीड़ित मादा श्वान एंव बलात्कारी की मेडिकल रिपोर्ट
कानूनी उलझनें
बलात्कार के मामले में पीड़ित का बयान सबसे अहम होता है लेकिन इस मामले में यह स्वाभाविक है कि पीड़ित मादा श्वान अपना बयान दर्ज नहीं करा पाएगी। कानून विदों का मानना है कि ऐसी स्थिति में पीड़ित को न्याय दिलाने के लिए प्रत्यक्षदर्शियों के बयान अहम होंगे। अभी तक ऐसा मामला न तो भारतीय कानून व्यवस्था के सामने आया है और न ही ऐसा कोई उदाहरण है। ऐसे में पीड़िता को न्याय दिलाना अभियोजन पक्ष के लिए एक बड़ी चुनौती होगी। पीड़िता व आरोपी की चिकित्सा रिपोर्ट पूरे मामले में सबसे अहम साबित होगी।
अपने आप में यह अनोखा मामला न्याय व्यवस्था के सामने एक बड़ी चुनौती है। ऐसा भी हो सकता है कि पीड़िता को न्याय दिलाने के लिए भारतीय कानून की कुछ धाराओं में संशोधन भी करना पड़े। पुलिस एंव अभियोजन पक्ष के अभी तक के प्रयास सराहनीय है। यदि इस मामले में पीड़ित को न्याय मिलता है तो यह लोगों के मन में न्याय व्यस्था के प्रति विश्वास को और पुख्ता कर देगा और भारतीय कानून के लिए भी ऐतिहासिक होगा।
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