मद्रास उच्च न्यायालय ने राजीव गांधी हत्याकांड में उम्रकैद की सजा काट रही नलिनी की एक याचिका पर तमिलनाडु सरकार को नोटिस जारी किया है। नलिनी ने याचिका में समय पूर्व रिहाई की मांग की थी।
न्यायमूर्ति पी. ज्योतिमणि ने नोटिस जारी किया, जिस पर दो सप्ताह में जवाब आना चाहिए।
नलिनी ने अपनी याचिका में कहा था कि सीआरपीसी की धारा 433 (ए) के तहत समय पूर्व रिहाई के लिए उसे 14 साल की कैद पूरी करने की जरूरत है। वह वेल्लूर जेल में 18 साल से अधिक समय कैद में काट चुकी है। उसने दलील दी कि 18 जून 2005 के बाद से वह समय पूर्व रिहाई की हकदार है।
नलिनी ने कहा कि वर्ष 2007 में समय पूर्व रिहाई के लिए जारी नामों की सूची में उसका नाम नहीं था।, जिसके बाद उसने राज्य सरकार से उसके नाम पर विचार करने का अनुरोध किया। हालांकि इसे खारिज कर दिया गया। तब उसने उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की। उच्च न्यायालय ने 24 सितंबर 2008 को अपने आदेश में सरकार को उसके अनुरोध पर पुन: विचार करने को कहा।
नलिनी ने कहा कि उस आदेश को एक साल हो चुका है और सरकार ने अभी तक नया सलाहकार बोर्ड गठित नहीं किया है और उसकी समय पूर्व रिहाई की याचिका पर कोई फैसला नहीं किया है। नलिनी और तीन अन्य को पहले मौत की सजा सुनायी गयी थी।
उसने दलील दी कि राज्यपाल ने उसकी क्षमादान की एक याचिका को स्वीकार कर लिया था। 24 अप्रैल 2000 को राज्य सरकार ने एक आदेश जारी कर उसकी मौत की सजा को उम्रकैद में तब्दील कर दिया।
उसने मांग की है कि सरकार को कानून के मुताबिक एक सलाहकार बोर्ड गठित करने का निर्देश दिया जाए और उसकी समय पूर्व रिहाई के लिए फैसला लिया जाए।
न्यायमूर्ति पी. ज्योतिमणि ने नोटिस जारी किया, जिस पर दो सप्ताह में जवाब आना चाहिए।
नलिनी ने अपनी याचिका में कहा था कि सीआरपीसी की धारा 433 (ए) के तहत समय पूर्व रिहाई के लिए उसे 14 साल की कैद पूरी करने की जरूरत है। वह वेल्लूर जेल में 18 साल से अधिक समय कैद में काट चुकी है। उसने दलील दी कि 18 जून 2005 के बाद से वह समय पूर्व रिहाई की हकदार है।
नलिनी ने कहा कि वर्ष 2007 में समय पूर्व रिहाई के लिए जारी नामों की सूची में उसका नाम नहीं था।, जिसके बाद उसने राज्य सरकार से उसके नाम पर विचार करने का अनुरोध किया। हालांकि इसे खारिज कर दिया गया। तब उसने उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की। उच्च न्यायालय ने 24 सितंबर 2008 को अपने आदेश में सरकार को उसके अनुरोध पर पुन: विचार करने को कहा।
नलिनी ने कहा कि उस आदेश को एक साल हो चुका है और सरकार ने अभी तक नया सलाहकार बोर्ड गठित नहीं किया है और उसकी समय पूर्व रिहाई की याचिका पर कोई फैसला नहीं किया है। नलिनी और तीन अन्य को पहले मौत की सजा सुनायी गयी थी।
उसने दलील दी कि राज्यपाल ने उसकी क्षमादान की एक याचिका को स्वीकार कर लिया था। 24 अप्रैल 2000 को राज्य सरकार ने एक आदेश जारी कर उसकी मौत की सजा को उम्रकैद में तब्दील कर दिया।
उसने मांग की है कि सरकार को कानून के मुताबिक एक सलाहकार बोर्ड गठित करने का निर्देश दिया जाए और उसकी समय पूर्व रिहाई के लिए फैसला लिया जाए।
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